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प्रकरण
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जा सकते हैं ? कूडलसंगमदेव यह चांडाल कन्याका शुद्ध पानीसे स्नान करनेका
साहुया ।
टिप्पणी :- संसारसे अनुभव किए हुए विषयोंकी दासतासे उकताकर श्रात्मस्वातंत्र्यकी मांग करनेवाले वचन |
( ५३२) पाप-पुण्य जाननेसे पहले, अनेक जन्म में आई हूं। विश्वाससे शरण आयी हूं । तुमने कभी अलग न रह सकूं, ऐसा करो स्वामी ! तुम्हारा धर्म, तुम्हारा कर्म ! केवल तुम्हें ही मांगती हूं ! भव-बंधन से मुक्त करो मेरे श्रीचन्नमल्लिकार्जुना ।
टिप्पणीः- परमात्मा के अनुग्रहसे ही मुक्ति संभव है ।
(५३३) खोजमें भटकने से नहीं, तप करनेसे नहीं, वह अपने महाकाल के बिना साध्य नहीं होगी । शिवकी प्रतीतिके विना साध्य नहीं होगी । चन्नमल्लिकार्जुन मुझसे प्रसन्न होनेसे, वसवेश्वर के संगसे मैं बच गयी ।
टिप्पणीः - श्रेष्ठ सत्य योगका अनुभव चखे योगीका वर्णन |
(५३४) पालनेमें पड़े राज शिशुकी भांति रहना योगी के लिए भूषण है । संधिकालके प्रकाशके सदृश्य रहना योगीके लिए भूषण है । वेश्याकी प्रीतिवत् रहना योगियोंके लिए भूषण है । पतिव्रताकी भक्ति-सा रहना योगियोंके लिए भूपण है, कपिलसिद्ध मल्लिकार्जुनको यह तोषण ( प्रिय) है सुन मेरे मन ।
( ५३५) संसारके नाना प्रकारके दुःखमें जन्म पाये हुए प्राणियोंको यहाँ लाये मेरे पिता । श्रव में जन्म नहीं लूंगा । अब मैं नहीं पाऊंगा यह । अब मैं जन्म-मररणके द्वंद्वसे परे गया । तुम्हारा कहा हुया कर्तव्य किया । अव अपनेमें विलीन कर लो कूडलसंगम देवा ।