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अबैत तब यह दशन असत्य और मायावी होता है। इसका अभिप्राय यह है कि जब घटनाओ को आत्म रूप मे अनुभव किया जाता है वह वास्तविक होता है और जब आत्मा मे पृथक करके उन्हे देखा जाता है तब वह मायावी होती है।"
हमे यह याद रखना चाहिए कि भगवान् की शिक्षाएं मर्वथा व्यावहारिक पी । वह सिदान्त की व्याख्या सिद्धान्त के लिए नहीं करते थे बल्कि भक्तो की विशिष्ट आवश्यकताओं और प्रश्नो के उत्तर में तथा उनकी साधना को सरल बनान के लिए करते थे। __ जब उन्हें एक बार (महर्षोल गॉस्पल मे) यह स्मरण कराया गया कि बुद्ध ने भगवान के सम्बन्ध में प्रश्नो का उत्तर देने से इन्कार कर दिया था, तव उन्होने स्वीकृतिसूचक उत्तर देते हुए कहा था, "तथ्य तो यह है कि बुद्ध भगवान् के सम्बध में शास्त्रीय वादविवाद की अपेक्षा अन्वेपक को यही और अमी परमानन्द की प्राप्ति का मार्ग बताना चाहते थे।" वह स्वय भी प्राय प्रश्नकर्ता की उत्सुकता को सतुष्ट करने से इन्कार कर देते थे और उनके लिए साधना की आवश्यकता पर बल देते थे । मनुष्य की मरणोत्तर अवस्था के सम्बन्ध में पूछे जाने पर वह कहा करते थे "आप यह जाने विना कि अब आप क्या है, यह क्यो जानना चाहते हैं कि मृत्यु के बाद आपका क्या होगा। पहले यह पता लगाओ कि अब आप क्या हैं।" इस और प्रत्येक जन्म के बाद मनुष्य अव और शापचत रूप से अमर आत्मा है। परन्तु इस प्रकार का उपदेश सुनना या इस पर विश्वास करना ही पर्याप्त नहीं है, इसके साक्षात्कार के लिए प्रयास करना आवश्यक है। इसी प्रकार भगवान के सम्बन्ध में पूछे जाने पर वह कहा करते थे, "अपने सम्बन्ध मे जानने से पूर्व आप भगवान के सम्बन्ध मे क्यो जानना चाहते हैं ? पहले यह पता लगाओ कि आप क्या हैं।"
जिस प्रक्रिया से यह काय सपन्न होता है उसका वणन एक वाद के अध्याय मे किया गया है परन्तु चूंकि अगले अध्याय में पहले ही भक्तो के प्रति श्रीभगवान के उपदेशो का विवरण दिया गया है, इस ओर तथा उनकी शिक्षा की ओर यही निर्देश कर दिया गया है।
उनकी शिक्षा दर्शन मास्त्र के सामान्य अर्थों में 'दशन' नहीं थी, यह इस तथ्य से देखा जा सकता है (जैसा कि अगले अध्याय में श्री शिवप्रकाशम् पिल्लई को दिये गये उनके उत्तरों से प्रकट होगा कि वह अपने भक्तो को समस्याओं के सम्बन्ध में विचार करने के लिए नहीं कहते थे बल्कि शुद्ध शान या आत्मबोध प्राप्त करते समय वह विचारो के उपरोव के लिए कहते थे। इससे ऐसा प्रतीत हो सकता है जैसे यह प्रक्रिया व्यक्ति को जर बना देती हो पर दूसरे अध्याय मे उद्धृत वार्तालाप में उन्होंने पाल बटन को बताया था कि इसका उलटा