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अरुणाचल
४३ के रूप में निवास कर रहा है, परम चंत्तन्य की दिव्य दृष्टि खुल जाती है
और वह अपने को विशुद्ध ज्ञान के रूप में प्रकट करता है।" जिस कन्दरा मे धीभगवान् सवप्रथम गये और जहां वह सबसे अधिक देर ठहरे, वह दक्षिण-पूर्वी ढलान पर है। इस कन्दरा को विरूपाक्ष नामक सन्त के नाम पर, जो वहां रहते थे और सम्भवत जिन्हें तेरहवी शताब्दी मे वहाँ दफनाया गया था, विरूपाक्ष कहते हैं। वही विचित्र बात तो यह है कि इम कन्दरा का आकार ओ३म् से मिलता-जुलता है। स्मारक कन्दरा मे विलकुल अन्दर है और ऐसा कहा जाता है कि अन्दर ओ३म् की ध्वनि सुनी जा सकती है।
नगर स्थित विरूपाक्ष मठ के ट्रस्टियो का कन्दरा पर सापतिक अधिकार था। वे कातिकी के वार्षिक समारोह के अवसर पर, कन्दरा के दर्शको के लिए आने वाले तीथयात्रियों पर एक छोटा-सा कर लगाया करते थे। जिस समय श्रीभगवान् वहां गये उस समय कर नहीं लगाया जाता था क्योकि दो दलो मे कन्दरा के स्वामित्व के सम्बन्ध में मुकद्दमेबाजी चल रही थी। जब मुकद्दमे का फैसला हो गया तव सफल दल ने पुन कर लगाना शुरू कर दिया। अस्तु, इस समय तक दर्शनार्थियों की संख्या बहुत बढ़ गयी थी और वर्ष भर न कि केवल कार्तिकी के अवसर पर उनका तांता लगा रहता था। चूंकि दर्शनार्थी कन्दरा में श्रीभगवान् की उपस्थिति के कारण वहां आते थे इसलिए यह कर एक प्रकार से श्रीभगवान् के दशनो के लिए था। श्रीभगवान् को यह बात पसन्द नहीं थी, इसलिए वह कन्दरा से बाहर निकलकर, इसके सामने एक छायादार वृक्ष के नीचे आकर बैठ गये। इस पर दृस्टियो के एजेण्ट ने अपना कर इकट्ठा करने का स्थान इस प्रकार वदल लिया कि श्रीभगवान् जिस वृक्ष के नीचे बैठते थे वह भी दृस्टियो की अधिकार-परिधि मे आ गया। अब श्रीभगवान् ने कन्दरा छोड दी और वह नीचे सद्गुरुस्वामी कन्दरा में चले गये और फिर वहाँ कुछ देर ठहरने के बाद दूसरी कन्दरा मे चले गये। विरूपाक्ष कन्दरा मे आने वाले दशनाधिो का तांता वन्द हो गया। जब ट्रस्टियो ने यह अनुभव किया कि उनके इस काय से उन्हें तो कोई लाभ नही हुआ, स्वामी को असुविधा हुई है तो उन्होंने उनसे पुन कन्दरा में लौटने की प्राथना की और यह वचन दिया कि जब तक स्वामी कन्दरा मे रहेंगे तब तक वह किसी प्रकार का कर नही लगाएंगे । इस शत पर वह वापस लौट आये। ___गरमी के महीनों मे विरूपाक्ष की कन्दरा बहुत अधिक तप जाती है। पहाडी की तराई मे मुलाईपाल तीर्थ तालाब के निकट एक कन्दरा है जो ठण्डी है और वहाँ पीने के लिए शुद्ध पानी भी मिल जाता है। इसके ऊपर एक छायादार नाम का वृक्ष है, जिसकी वजह से इस कन्दरा का नाम आम-कन्दरा