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महासमाधि
१८६ भक्ति-गीत गाते थे। जव इनकी सार्थकता के सम्बन्ध मे उनसे पूछा गया तो उन्होने हँसते हुए उत्तर दिया, "अच्छे कार्यो मे लगे रहना निश्चित ही वाछनीय है, उन्ह अपना कार्यकलाप जारी रखने दें।"
घाव के ठीक ऊपर फिर रसौली निकल आयी। अब वह कन्धे के निकट निकली थी। इस प्रकार मारी प्रणाली विपाक्त हो गयी थी और शरीर मे भीपण रक्ताल्पता हो गयी थी। डाक्टरों का कहना था कि भगवान् को भयकर पीडा अनुभव हो रही होगी। वह कोई पौष्टिक भोजन पदार्थ नहीं ले सकते थे। कभी-कभी वह नीद मे कराहते परन्तु इसके अतिरिक्त पीडा का अन्य काई चिह्न दृष्टिगोचर नही होता था । समय-समय पर उन्ह देखने के लिए मद्रास से डाक्टर आते रहते थे। वह सदा की तरह उनके साथ सौजन्य का व्यवहार करते और उनका यथोचित अतिथि-सत्कार करते । उनका सबसे पहला प्रश्न यह होता था कि क्या उन्होंने भोजन कर लिया है, क्या उनकी देखभाल ठीक ढग से की जा रही है।
उनकी विनोदी प्रकृति पहले जैसी थी। वह रमौली के बारे मे मजाक किया करते थे मानो यह कोई ऐसी वस्तु थी जिसका उनसे कोई सम्बन्ध नही था । एक महिला ने भगवान् की पीडा से व्यथित होकर, कमरे के निकट स्तम्भ पर अपना सिर पीट लिया और वह इस घटना को साश्चर्य देखते हुए कहने लगे, "ओह | मैंने सोचा वह नारियल तोडने की कोशिश कर रही है।" __ अपने सेवको तथा अपने परम भक्त डाक्टर टी० एन० कृष्णमाचारी से उन्होंने कहा, "मानव-शरीर केले के पत्ते के समान है, जिस पर सभी प्रकार के स्वादिष्ट भोजन परोसे जाते हैं। क्या भोजन कर चुकने के बाद हम इस पत्ते को संभाल कर रखते हैं ? इसका प्रयोजन पूरा होने के बाद क्या हम इसे फेंक नहीं देते ?"
एक अन्य अवसर पर उन्होने अपने भक्तो से कहा, "इम शरीर का जिसे हर बात मे सहायता की आवश्यकता होती है, वोझ कौन उठा सकता है ? क्या आप मुझसे आशा करते हैं कि मैं उस शरीर का वोझ उठाऊंगा जिसे उठाने के लिए चार आदमियो की जरूरत पड़ती है ?"
उन्होने और कुछ भक्तो से कहा, "कल्पना करो आप एक लकड़ी के डिपो पर जाते हैं और लकडियो का एक गट्टा खरीदते हैं तथा इसे अपने घर तक पहुंचाने के लिए एक कुली करते हैं । जमे आप कुली के साथ-साथ चलते हैं, आप देखेंगे कि वह अपने गन्तव्य स्थान पर पहुंचने के लिए अत्यन्त आतुर है तापि वह वो फेक वर गहत की मांस ले सके । इमी प्रकार ज्ञानी भी अपने भौतिक शरीर का भार उतार फेंकने के लिए चिन्तित होता है।" फिर उन्होंने इम व्याख्या को ठीक करते हुए कहा "जहां तक चरिताथ हो सकती है, यह