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एक पादरी और एक रब्बी अपने अपने धर्म संस्थानों की अर्थ व्यवस्था को लेकर बातचीत कर
रहे थे।
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पादरी ने कहा, 'हम लिफाफे से एकत्रित हुई धनराशि से बहुत अच्छी तरह से काम चला लेते हैं।
रब्बी ने पूछा, 'लिफाफे से एकत्रित धनराशि वह क्या होती है?'
'हम प्रत्येक घर में छोटे -छोटे लिफाफे दे देते हैं, और परिवार का हर सदस्य प्रतिदिन कुछ पैसे उसमें डाल देता है। फिर परिवार के वे लोग धन इकट्ठे करने वाले पात्र में वही लिफाफा रख देते हैं। लिफाफों पर किसी भी तरह का कोई चिह्न नहीं बनाते, नंबर इत्यादि नहीं लिखते, इसलिए व्यक्ति का नाम अज्ञात ही रहता है।'
रब्बी ने खुश होकर कहा, 'बड़ी अच्छी योजना है। मैं भी इसे आजमाने की कोशिश करूंगा।' एक सप्ताह बाद पादरी की रब्बी से फिर भेंट हुई तो उससे उसने यूं ही पूछ लिया कि वह लिफाफा योजना कैसी चल रही है।
रब्बी ने बताया, 'अच्छी बहुत अच्छी चल रही है। मैंने छह सौ पाउंड के चेक बिना नाम के इकट्ठे किए हैं।"
पादरी ने हैरानी से भर कर पूछा, 'बिना नाम के चेक?'
'हां – उन पर हस्ताक्षर नहीं हैं। '
यहूदी यहूदी ही रहते हैं। मेरे साथ यहूदी बनकर मत रहना तुम हस्ताक्षर कर सकते हो।
और फिर से खयाल में ले लो और भी कई शैतान चाहिए। अगर तुम्हें कोई मिल जाए, खास करके सुंदर वेश में, जो कि स्त्री के रूप में छिपा हुआ हो तो तुरंत उन्हें ले आना मुझे और भी चाहिए ।
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पश्चिम के मन में परमात्मा और शैतान के बीच एक विभाजन बना हुआ है, पूरब के लोगों के मन के साथ ऐसा नहीं है। वहां विपरीत भी एक ही है। इसलिए अगर तुम पूरब के देवताओं का जीवन देखो, तो तुम चकित रह जाओगे, वे दोनों हैं- शैतान भी हैं और परमात्मा भी वे कहीं अधिक पूर्ण हैं, अधिक पवित्र हैं। पश्चिम के देवता तो मुर्दा मालूम पड़ते हैं। क्योंकि जीवन की जीवंतता तो शैतान के पास चली गयी है। पश्चिम का परमात्मा एकदम सीधा-सज्जन मालूम पड़ता है। तुम उसे इंग्लिश जेंटलमेन की संज्ञा दे सकते हो बुराई से बिलकुल अछूता उसे मनोविश्लेषण की आवश्यकता है। और निस्संदेह शैतान कहीं अधिक जीवंत होता है वह भी खतरनाक है।
सभी विभाजन खतरनाक हैं। उन्हें आपस में मिल जाने दो, एक हो जाने दो। मेरे आश्रम में शैतान और देवता के बीच भेद नहीं है। मैं सभी को समाहित कर लेता हूं। इसलिए जो कुछ भी तुम हो, जैसे