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हमारी समझ उतनी ही होती है, जहां हम खड़े होते हैं। अगर कोई कहता है कोई परमात्मा नहीं है, तो वह केवल इतना ही कह रहा है कि वह अपने ही अस्तित्व के किसी एकात्मक तत्व को, अपने ही परमात्मा को नहीं जान पाया है -बस, वह इतना ही कह रहा है। ऐसे आदमी के साथ झगड़ा मत करना, उसके साथ किसी तर्क में मत पड़ना, क्योंकि विवाद या तर्क उस व्यक्ति को व्यान का कोई अनुभव नहीं दे सकते। किसी भी तरह के प्रमाण उसे व्यान का अनुभव नहीं दे सकते।
योगी कभी तर्क में नहीं पड़ते। वे कहते हैं आओ, हमारे साथ प्रयोग में उतरो –परिकल्पना के रूप में। हम जो कहते हैं, उसे मानने की कोई जरूरत नहीं। बस कोशिश करो, केवल यह समझने की कोशिश करो कि यह है क्या। जब तुम अपने व्यान को अनुभव कर लोगे, तो परमात्मा का आविर्भाव हो जाता है। तब परमात्मा ही चारों ओर, संपूर्ण अस्तित्व में फैलता चला जाता है।
मैं तुमसे एक कथा कहना चाहूंगा
एक मकान मालकिन ने अपनी समस्या का समाधान करने के लिए किराएदार से कहा। वह उससे कहने लगी, 'मेरे पास पिंजरे में ये दो तोते हैं; एक पुरुष तोता है और एक स्त्री तोता है, लेकिन मुझे यह समझ नहीं आ रहा है कि इनमें से कौन सा नर है और कौन सी मादा है। क्या यह जानने में आप मेरी कुछ मदद कर सकते हैं?'
किराएदार ने कहा, 'देखिए श्रीमती जी, मुझे तोतों के बारे में कुछ भी मालूम नहीं है। लेकिन फिर भी मैं बताता है कि क्या करना चाहिए-आप एक काला कपड़ा उनके पिंजरे पर डाल दें, आधे घंटे के लिए उन्हें अकेला छोड़ दें। फिर वह काला कपड़ा हटा दें और देखें कि कौन से तोते के पंख अस्त -व्यस्त हैं। वही नर तोता होगा।'
मकान मालकिन ने वैसा ही किया, उसने पिंजरे पर काला कपड़ा डाल दिया। उस कपड़े को आधे घंटे तक पिंजरे पर पड़ा रहने दिया। फिर उसने कपड़े को हटा दिया। जैसा कि मालूम ही था, उनमें से एक तोते के पंख थोड़े अस्त-व्यस्त थे।
वह बोला, 'देखो जान लिया न, यही है नर तोता।'
वह बोली,'ही, एकदम ठीक। लेकिन आगे भविष्य में मैं यह कैसे जान पाऊंगी?'
इस पर वह किराएदार बोला, 'इसकी गर्दन में एक छोटा सा रिबन बाध दो, तो तुम्हें मालूम रहेगा कि कौन सा नर तोता है।'
और मकान मालकिन ने वैसा ही किया।
उसी शाम धर्म पुरोहित चाय-नाश्ते के लिए उस महिला के घर आया। तोते ने एक नजर उसकी टाई को देखा और बोला,'तो अच्छा! क्या आपको भी उन्होंने इस हालत में पकड़ा है।'