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________________ भगवान मैं आपके प्रति बहुत लगाव अनुभव करता हूं। आप मेरी अंतिम शराब हैं मेरा अंतिम व्यसन हैं मेरा अंतिम नशा हैं मैं कुछ समय के लिए यहां से जाना चाहता हूं और फिर भी जा नहीं पा रहा हूं। हर सुबह घड़ी की तरह ठीक समय पर मैं प्रवचन सुनने के लिए आ जाता हूं ऐसा लगता है कि मैं आपके द्वारा सम्मोहित हो गया हूं। कृपया कुछ कहें। मतमसे एक कथा कहना चाहंगा। और उस कथा का आखिरी हिस्सा तुम्हारे प्रश्न का मेरा उतर है, इसलिए ध्यान से सुनना। एक जॉज संगीतकार, जो अपने जीवन में कभी चर्च नहीं गया था, वह एक गांव के किसी छोटे से चर्च के पास से गुजर रहा था। उसने देखा कि धर्म उपासना प्रारंभ होने वाली है। जिज्ञासावश उसने भीतर जाने का विचार किया और यह देखना चाहा कि आखिर वहा पर है क्या! धर्म उपासना के बाद वह पादरी के पास पहुंचा और बोला, क्या कहूं आदरणीय, आपके इतने अच्छे प्रवचनों ने तो मुझे अभिभूत ही कर दिया-मुझे तो सच में उसने धराशायी कर दिया। जीज, बेबी, मेरा तो सिर घूम गया। वह सब इतना तूफानी था, कि उसने मुझे मार डाला। यह सब सुनकर वह पादरी तो बड़ा संतुष्ट हो गया, लेकिन फिर भी बोला, 'ठीक है, मैं आपको धन्यवाद देता हूं। यह मेरे लिए बहुत प्रसन्नता की बात है, ऐसा मैं विश्वासपूर्वक कहता हूं। फिर भी –मेरी इच्छा है कि पवित्र चर्च के प्रवेश द्वार पर आप इस सामान्य शब्दावली का उपयोग न करें।' लेकिन वह संगीतकार बोलता ही गया 'कि मैं आप से कुछ और भी कहना चाहूंगा, श्रीमान। जब वह तूफानी औरत रोटी की तश्तरी लेकर आयी, तो सारा दृश्य मेरे दिमाग पर कुछ ऐसा छा गया कि मैंने पांच का नोट निकाला।' 'क्रेजी, बेबी, क्रेजी! ' पादरी ने कहा। आज इतना ही।
SR No.034098
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages505
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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