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________________ निम्न का सहयोग खोज रहा है। यह तो मनुष्य जाति का हास है, मनुष्य जाति की दुर्दशा है। यह बहुत ही दुख की बात है। ऐसा नहीं होना चाहिए। विज्ञान का पूरा इतिहास इसे प्रमाणित भी करता है। जब अंतर्बोध का उपयोग विधि की भांति किया जाता था, तो उसकी कीमिया भी मौजूद थी। जब बुद्धि की शक्ति बढ़ गयी, तो वह कीमिया, वह अल्केमी भी खो गयी, और तब रसायन का, केमिस्ट्री का जन्म हुआ। अल्केमी या कीमिया का संबंधअंतर्बोध से है, केमिस्ट्री या रसायन का संबंध बुद्धि से है। अल्केमी चंद्र था; केमिस्ट्री सूर्य है। जब चंद्र प्रमुख था, तब अंतर्बोध प्रबल था, ज्योतिष विज्ञान का अस्तित्व था। अब तो गणित, खगोल -विज्ञान का अस्तित्व है। ज्योतिष तो खो गया है। ज्योतिष है चंद्र; गणित, खगोल है सूर्य। और इस कारण संसार बहुत दरिद्र हो गया है। जैसे पुरुष को उसके सूर्य -केंद्र पर खिलना है, ऐसे ही स्त्री को उसके चंद्र-तल पर खिलना है, लेकिन प्रतिभा उन दोनों के पार है। बदधि मनोविज्ञान है, अंतर्बोध परा मनोविज्ञान है, प्रतिभा उन दोनों के पार का मनोविज्ञान है। 'इसके पश्चात अंतर्बोध युक्त श्रवण, स्पर्श, दृष्टि, आस्वाद और आघ्राण की उपलब्धि चली आती है।' स्मरण रहे, यह बात दो स्तर पर घट सकती है। अगर तुम चंद्र-केंद्रित व्यक्ति हो, स्त्री तत्व से जुड़े हो -पुरुष हो या स्त्री हो उससे कुछ अंतर नहीं पड़ता है - अगर तुम चंद्र-केंद्र से क्रियाशील होते हो, तो तुम बहुत कुछ ऐसा सुन सकोगे, जिसे दूसरे लोग नहीं सुन सकते हैं, और तुम ऐसा बहुत कुछ देख सकोगे जिसे दूसरे लोग नहीं देख सकते हैं। तुम्हारे भीतर छिपे हुए अज्ञात तत्व की अनुभूति पाने की क्षमता तुममें आ जाएगी। तब अज्ञात का आयाम तुम्हारे लिए अपरिचित और अनजाना न रह जाएगा, अज्ञान तुम्हारे सामने थोड़ा - थोड़ा अपना पर्दा उठाने लगेगा। आज परा -मनोविज्ञान के दवारा मनोवैज्ञानिक इसी बात का अध्ययन कर रहे हैं। अब यह बात जोर पकड़ रही है, अब कुछ विश्वविद्यालयों ने परा –मनोविज्ञान के विभाग भी खोले हैं। परा - मनोविज्ञान पर आजकल बहुत अन्वेषण कार्य चल रहा है, यहां तक कि सोवियत रूस में भी। क्योंकि पुरुष तो एक ढंग से असफल हो गया है, सूर्य -केंद्र असफल हो गया है हम हजारों वर्षों से इसी सूर्य -केंद्र के द्वारा जीते आए हैं, और वे लोग केवल हिंसा, युद्ध, और दुख में ही ले गए हैं। अब दूसरे केंद्र से जुड़ना है। सोवियत रूस तक में भी, जो कि पूरी तरह से सूर्य -केंद्रित है, कम्युनिस्टों का शासन है, जो किसी भी धर्म में, परमात्मा में विश्वास नहीं रखते हैं, वे भी इसके लिए प्रयास कर रहे हैं। और उन्होंने इस पर बहुत कार्य किया है, और बहुत खोज भी की है। हालांकि वे इसकी व्याख्या बुद्धि की भाषा में ही करते हैं –वे इसे अति -संवेदन कहते हैं। वे इसे परा - मनोविज्ञान नहीं कहते हैं। वे कहते हैं, यह भी एक तरह का संवेदन है, बस केवल सूक्ष्म है।'
SR No.034098
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages505
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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