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और मजेदार बात यह है कि बुद्धि से जीने वाला आदमी उन्हीं की खोज में होता है और अंतरबोध वाला आदमी उनकी तलाश में नहीं होता है, लेकिन फिर भी उन्हें देख सकता है। सच तो यह है, सभी
बड़े -बड़े आविष्कार बौद्धिक लोगों से ही संपन्न हुए हैं लेकिन वे आविष्कार तभी संभव हो सके हैं जब वे अंतरबोध की भाव दशाओं में होते थे। बड़े - बड़े आविष्कार अंतरबोध से संचालित लोगों के द्वारा नहीं हो पाते हैं, क्योंकि उन्हें उनकी खोज नहीं होती। अगर वे उसके निकट भी आ जाएं, अगर वे उनके ठीक सामने भी आ जाएं, तो भी वे उनको भूल जाते हैं।
इसी कारण तो स्त्रियां कभी कोई आविष्कार नहीं कर पाईं। ऐसा नहीं है कि उनके साथ उस तरह की घटनाएं कभी घटित नहीं हुईं – पुरुषों की अपेक्षा वे घटनाएं उनके साथ अधिक घटित होती हैं। थोड़ा इस बात पर कभी गौर करना। यहां तक कि पाक - विज्ञान, भोजन - शास्त्र भी पुरुषों द्वारा विकसित हुआ है, स्त्रियों के द्वारा नहीं। सभी अच्छे रसोइए पुरुष हैं। कम से कम भोजन के क्षेत्र में तो ऐसा नहीं होना चाहिए था। लेकिन सभी बड़े बड़े होटल, पाच सितारा होटल, प्रसिद्ध होटल किसी स्त्री को अपने यहां रसोइया नहीं रखते हैं स्त्रिया वर्षों से भोजन पका रही हैं, लेकिन पाक शास्त्र से संबंधित सारी खोजें, सब नए प्रयोग पुरुषों ने किए हैं। ऐसा नहीं है कि वे आविष्कार नहीं कर सकती हैं - वे कर सकती हैं - लेकिन वे तो केवल ग्रहणशील होती हैं। कई बार ऐसी परिस्थिति आती है जब कुछ आविष्कार कर सकती हैं, लेकिन वह ऐसे ही चली जाती है, वे उस ओर ध्यान ही नहीं देती हैं।
वे
जो बौद्धिक होते हैं, जो लोग बुद्धि से जीते हैं, वे निरंतर खोजबीन में लगे रहते हैं, हर जगह कुछ न कुछ खोजते रहते हैं; वे कोई सी भी बात ऐसी नहीं चाहते हैं, जो बिना प्रकट हुए, बिना उघडी रह जाए। वे हर कोने -कातर को उघाड़ने की कोशिश में लगे रहते हैं। मनस्विदों का कहना है कि सभी वैज्ञानिक खोजों का कारण पुरुष की काम ऊर्जा है।
तुम किसी छोटे लड़के को कोई खिलौना पकड़ा दो 0 कुछ मिनट में ही वह खिलौना टूट-फूट जाएगा; वह बच्चा उस खिलौने को खोलेगा, उसे देखेगा वह उस खिलौने के भीतर देखना चाहता है कि वहाँ है क्या। तुम किसी छोटी लड़की के हाथ में खिलौना दे दो वह वर्षों तक उसे सम्हालकर रखेगी। वह उसे अलमारी में रखकर, ताला लगा देगी; या उस खिलौने को सजाएगी -संवारेगी। लेकिन अगर लड़का हुआ तो वह तुरंत उसे तोड़-फोड़ देगा। वह उसे खोलकर देखना चाहता है कि खिलौना कैसे बना? वह जानना चाहता है कि यह खिलौना कैसे चलता है? वह उसकी गहराई में उतरना चाहता है, वह पूरी खोजबीन कर लेना चाहता है।
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पूरा का पूरा विज्ञान एक ढंग से पुरुष की कामभावना ही है खोजते जाना, खोजते जाना, और सभी चीजों का आवरण हटा देना है।
मैं
तुम
से एक कथा कहना चाहूंगा: