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'आखिर ऐसा क्यों नहीं होता!' उस व्याकरणविद ने जोर से कहा,' अपने पूरे जीवन अपने भाषण और लेखों में, और सभी वर्तमान और अतीत के विद्वान प्रथम पुरुष बहुवचन के साथ'शैल' का प्रयोग करते हैं विल' का नहीं। और जैसा कि आपने कहा,'ट् हिम वी विल रिटर्न!'
प्रश्न 'विल' और 'शैल' का था-'विल' का प्रयोग ठीक नहीं है!
यह बात हमें बहुत ही बेतुकी और व्यर्थ लगती है, पागलपन की मालूम होती है। लेकिन हमारे चारों ओर यही तो हो रहा है। अगर बुद्ध तुम्हारे पास आकर कहें, कहीं कोई परमात्मा नहीं है, तो तुम तुरंत बेचैन, परेशान और चिंतित हो जाओगे। बुद्ध क्या कह रहे हैं? बुद्ध ने केवल इतना ही कहा है जो तुम्हारे भाषागत ढांचे का विपरीत पड़ता है, बस इतना ही। अगर बुद्ध कहते,'नहीं, कोई आत्मा नहीं है, कोई मैं नहीं है, तो तुम बेचैन हो जाते। बुद्ध ने ऐसा क्या कह दिया है? बुद्ध ने केवल तुम्हारे अहंकार की तरकीब को छीन लिया है, और कुछ नहीं किया है। उन्होंने तो बस तुम्हारे भाषागत ढांचे को छिन्न-भिन्न कर दिया है।
यहां पर हर रोज यही हो रहा है। जब मैं कुछ कहता हूं –और तुम्हारे किसी भाषागत ढांचे को तोड़ देता हूं तो तुम परेशान हो जाते हो, तुम क्रोधित हो जाते हो। अगर तुम ईसाई हो, तो निस्संदेह तुम उसी भाषा -शैली का उपयोग करोगे। अगर तुम हिंदू हो, तो तुम उसी तरह की भाषा-शैली का उपयोग करते हो। मैं इन में से कुछ भी नहीं हूं। और मैं यहां पर तुम्हारे सभी भाषागत ढांचों को मिटा देने के लिए हूं। तब तो तुम बहुत ही क्रोध से भर जाते हो, परेशान हो जाते हो। फिर तुम सोचने लगते हो कि अब हम क्या करें?
लेकिन मैं क्या कर रहा हूं। मैं तुमसे छीन क्या सकता हूं? अगर तुमने परमात्मा को पा लिया है, तो क्या बुद्ध तुमसे परमात्मा को छीन सकते हैं क्या वे तुमसे परमात्मा ले सकते हैं? तब तो फिर परमात्मा के होने का प्रश्न ही नहीं है। लेकिन वे तुम्हारे किसी भाषागत सिद्धांत को छीन सकते हैं; वे तुमसे तुम्हारी परिकल्पनाएं ले सकते हैं।
'पुरुष, सदचेतना और सत्व, सदबुद्धि के बीच अंतर कर पाने की अयोग्यता के परिणाम स्वरूप अनुभव के भोग का उदभव होता है......।'
भाषा का संबंध सत्व से है, सिद्धातों का संबंध सत्व से है, दर्शन का संबंध सत्व से है। सत्व का अर्थ होता है बुद्धि, मन। लेकिन तुम मन नहीं हो।
ईसाइयत, हिंदुत्व, जैन, बौद्ध, इनका संबंध मन से है। इसीलिए तो बौद्ध भिक्षु कहते हैं, अगर बुद्ध तुम्हें कहीं रास्ते पर मिल जाएं, तो तुरंत उनकी हत्या कर देना। बौद्ध भिक्षु ऐसा क्यों कहते हैं? वे कहते हैं, अगर बुद्ध तुम्हें मिल जाएं, तो तुरंत उनकी हत्या कर देना। वे कह रहे है, मन की हत्या कर देना। इम बुद्ध के संबंध में सिद्धांत इत्यादि मत ढोना, अन्यथा तुम कभी बुद्ध न हो सकोगे। अगर