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मैंने सुना है कि एक स्त्री अपने भाषण में बंदूक की गोली जैसे दागती हुई बोली, 'आज तक, वह जोर से चिल्लायी, गुस्से से भरकर गरजते हुए, खूब ऊंची आवाज में बोली, 'स्त्रियों को हजारों ढंग से प्रताड़ित किया गया है और कई -कई ढंगों से उन्हें सताया गया है।'
फिर वह यह देखने के लिए थोड़ा रुकी कि उसकी बात का जनता पर क्या प्रभाव पड़ा है। आगे की
एक विनम्र और छोटे आदमी ने अपना हाथ उठाया और बोला, 'मुझे मालूम है, एक ढंग ऐसा भी है जिसमें स्त्रियों ने कभी कोई पीड़ा, कभी कोई कष्ट नहीं उठाया है।'
भाषण करने वाली स्त्री ने उसकी ओर घूरकर देखा और कड़ककर पूछा, 'वह कौन सा ढंग है?' उसने जवाब दिया, 'स्त्रियां कभी भी चुप रहने वाली पीड़ा को नहीं उठाती हैं।'
निष्क्रिय ऊर्जा झंझट खड़ी करने वाली होती है। क्या तुमने कभी इस पर ध्यान दिया है? लड़कों के बोलने से पहले ही लड़कियां बोलना शुरू कर देती हैं। जहां तक बोलने का संबंध है लड़कियां हमेशा बोलने में आगे रहती हैं -स्कूल हो, कालेज हो, या विश्वविद्यालय हो –बोलने में लड़कियां हमेशा लड़कों से आगे रहती हैं। लड़के पीछे बोलना शुरू करते हैं, लड़कियां उनसे छह या आठ महीने पहले ही बोलना शुरू कर देती हैं। और लड़की बोलने में बहुत जल्दी कुशल हो जाती है, एकदम कुशल हो जाती है। हो सकता है कि वह व्यर्थ की बकवास ही करती हो, लेकिन बोलती वह बड़ी कुशलता से है। लड़का बोलने में हमेशा पीछे रह जाता है। वह लड़ सकता है, दौड़ सकता है, आक्रामक हो सकता है, लेकिन बोलने में वह लड़कियों के समान कुशल नहीं होता है।
स्त्री और पुरुष दोनों की ऊर्जाएं अलग-अलग ढंग से कार्य करती हैं। जो चंद्र-ऊर्जा होती है, अगर जीवन ठीक से न चल रहा हो तो वह उदास हो जाती है। सूर्य-ऊर्जा जीवन के ठीक से गतिमान न होने पर क्रोधित हो जाता है।
इसीलिए स्त्रियां बहुत जल्दी उदास हो जाती हैं, और पुरुष बहुत जल्दी क्रोध से भर जाते हैं। अगर पुरुष को लगता है कि कहीं कुछ गलत हो रहा है, तो वह उसे ठीक करने की कोशिश करेगा, लेकिन स्त्री प्रतीक्षा करती रहेगी। अगर परुष क्रोधित होता है तो वह किसी की हत्या कर देना चाहेगा। अगर स्त्री क्रोधित होगी तो वह आत्महत्या करना चाहेगी। क्रोधित पुरुष के मन में पहली बात यही आती है कि जाकर किसी की हत्या कर दे, और अगर स्त्री क्रोधित होगी तो उसके मन में पहली बात आत्महत्या कर लेने की, स्वयं को ही खतम कर देने की आएगी। क्या तमने कभी पति-पत्नी को झगड़ते हुए देखा है? अगर पति क्रोधित होगा तो पत्नी को मारने लगेगा, और अगर पत्नी क्रोधित होगी तो वह स्वयं को ही मारने लगेगी। उनकी क्रियाशीलता में भेद होता है।
लेकिन एक समग्र मनुष्य दोनों ही ऊर्जाओं का जोड़ होता है -सूर्य और चंद्र का जोड़ होता है। जब दोनों ऊर्जाएं बराबर -बराबर अनुपात में और संतुलित होती हैं, तो व्यक्ति शांत हो जाता है। जब भीतर के स्त्री और लत हो जाते हैं, तो ऐसी शक्ति व थिरता प्राप्त हो जाती है, जो इस