________________
म एक झूठ हूं? और पूर्ण झूठ हूं -और, यह जो कह रहा हू यह भी एक झूठ ही है।
आज इतना ही।
प्रवचन 73 - अंतर-ब्रह्मांड के साक्षी हो जाओ
योग-सूत्र:
चंद्रे ताराव्यूहज्ञानम् ।। 28।।
चंद्र पर संयम संपन्न करने से तारों-नक्षत्रों की समेग्र व्यवस्था का ज्ञान प्राप्त होता है।
धुवे तद्गतिज्ञानम्।। 29।।
ध्रुव-नक्षत्र पर संयम संपन्न करने से तारों-नक्षत्रों की गतिमयता का ज्ञान प्राप्त होता है।
नाभिचक्र कायव्यूहज्ञानम् ।। 30।।
नाभि चक्र पर संयम संपन्न करने से शरीर की संपूर्ण संरचना का ज्ञान प्राप्त होता है।
कण्ठकूपे क्षुत्पिपासानिवृति: ।। 31।। कंठ पर संयम संपन्न करने से क्षुधानु पिपासा की अवभूतियां क्षीण हो जाती है।
कूर्मनाडयां स्थैर्यम्।। 32।।