________________
जब भीतर कोई वैत नहीं बचता है और न ही भीतर किसी तरह का कोई विभाजन ही बचता है, और तुम एक हो गए होते हो।
कभी -कभी ऐसा स्वाभाविक रूप से भी होता है। क्योंकि अगर ऐसा स्वाभाविक रूप से घटित नहीं होता, तो पतंजलि इसकी खोज नहीं कर पाते। कई बार ऐसा स्वाभाविक रूप से भी घटित होता है - ऐसा तुम्हें भी घटित हुआ है। ऐसा व्यक्ति खोजना मुश्किल है जिसे सत्य की कोई झलक न मिली हो। संयोगवश, कई बार अनजाने में, न जानते हुए, तुम भी अस्तित्व की तरंग के साथ एक हो जाते हो, और अचानक उस तरंग पर सवार होकर तुम भी उस शांति का, आनंद का स्वाद ले लेते हो।
एक व्यक्ति ने पत्र लिखकर बताया है, ' आज मुझे सत्य की पांच मिनिट को झलक मिली।' मुझे उसकी यह अभिव्यक्ति अच्छी लगी 'पाच मिनिट को सत्य की झलक।' मैंने उससे पूछा, 'ऐसा
कैसे हुआ?' उसने बताया कि वह कुछ दिनों से बीमार था। और यह बात अविश्वसनीय है, लेकिन सच है कि बहुत से लोगों को, कई बार बीमारी के समय सत्य की क्षणिक झलक मिलती है। क्योंकि बीमारी में रोज का जो जीवन होता है वह ठहर जाता है, थम जाता है। कुछ दिन से वह बीमार था
और उसे बिस्तर से उठने की अनुमति न थी, इसलिए वह बिस्तर पर ही विश्राम कर रहा था। उस समय उसके पास कुछ और करने को था भी नहीं। चार -पांच दिन के विश्राम के बाद, अचानक एक दिन जब वह बिस्तर पर लेटा हुआ कमरे की छत की तरफ देख रहा था कि उसे सत्य की झलक मिली। सब कुछ जैसे ठहर गया-समय ठहर गया, सीमाएं टूट गईं, कहीं कोई देखने वाला न था - अनायास उसका तार उस एक के साथ जुड़ गया, सभी कुछ एक हो गया।
कुछ लोगों को प्रेम के क्षणों में ऐसा घटित होता है। प्रेम के शिखर अनुभव के साथ सभी कुछ शांत और मौन हो जाता है। तुम खो जाते हो। सभी तरह के तनाव चले जाते हैं, सभी तूफान थम जाते हैं, और अनायास सब कुछ अखंड था, जैसे कि एक ही सागर लहरा रहा हो। अचानक सत्य उपस्थित हो जाता है।
कई बार धूप में टहलते हुए आनंद के क्षणों में, या कभी नदी में तैरते, नदी के साथ बहते, कभी-कभी कुछ न करते हुए बस रेत पर लेटे -लेटे, चांद -तारों को देखते -देखते ऐसा हो जाता है -सत्य की झलक मिल जाती है।
लेकिन यह संयोग ही है। और क्योंकि वे संयोग हैं, और चूंकि वें जीवन -शैली में फिट नहीं बैठते हैं, तुम उन्हें भूल जाते हो। तुम उनकी ओर कुछ अधिक ध्यान नहीं देते हो। तुम अपने कंधे उचकाकर सब कुछ भूल जाते हो। वरना हरेक व्यक्ति के जीवन में, कभी न कभी सत्य की झलकें आती ही हैं।