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विस्मरण का एक पर्दा पड़ जाता है, और जब स्मृति पर विस्मरण का पर्दा पड़ जाता है तो फिर अतीत की ओर लौटना संभव नहीं हो सकता।
बंबई में एक आर्ट गैलरी का मालिक एक ग्राहक को चित्र दिखा रहा था, उस ग्राहक को अपनी पसंद का कुछ
मालूम ही नहीं था कि उसकी पसंद क्या है। आर्ट गैलरी के मालिक ने उसे एक लैंडस्केप, पेंटिंग, पोट्रेट, कुछ फूलों के चित्र दिखाए। लेकिन उसे दिखाने का कुछ भी नतीजा न निकला।'क्या आप नग्न-चित्र देखना पसंद करेंगे?' आर्ट गैलरी के मालिक ने आखिरकार हारकर जोर से पूछा, 'क्या आप नग्न-चित्र देखना पसंद करेंगे?'
उस देखने वाले ग्राहक ने कहा, 'ओह नहीं -नहीं, मैं तो गाइनोकोलॉजिस्ट हूं।'
मेहरबानी करके डा फड़नीस पर संदेह मत करने लगना। फड़नीस ने मुझ से कहा है कि यह बात मैं तुम लोगों से न कहूं।
अगर तुम गाइनोकोलॉजिस्ट हो, स्त्री रोग विशेषज्ञ हो, तो तुम नग्न-चित्र में कैसे उत्सुक हो सकते हो? सच तो यह है फिर तो जो शरीर का आकर्षण भी होता है, वह भी समाप्त होने लगता है। जितनी धिक शरीर की जानकारी होती है उतना ही शरीर का आकर्षण कम होता चला जाता है। जितना अधिक शरीर के बारे में जानकारी हो, उतना ही शरीर का सम्मोहन, शरीर का आकर्षण कम हो जाता है। जितनी अधिक शरीर की जानकारी हो, उतनी ही शरीर की व्यर्थता का बोध बढ़ जाता है।
अगर कोई व्यक्ति अपने पूर्व -जन्मों की स्मृतियों में उतर सके और यह बहुत ही आसान है, इसमें कुछ भी मुश्किल नहीं है-बस केवल एकाग्रता चाहिए। बुद्ध ने अपने पूर्व -जन्मों की कथाएं कही हैं, जातक कथाएं–वें जातक कथाएं मनुष्य के लिए खजाना हैं। बुद्ध से पहले ऐसा कभी किसी ने नहीं किया था। प्रत्येक कथा महत्वपूर्ण और प्रतीकात्मक है -क्योंकि यही तो संपूर्ण मनुष्य-जाति की कथा है -वही मनुष्य की मूर्खता, वही लोभ, वही ईर्ष्या, वही क्रोध, वही करुणा, वही प्रेम-यही तो संपूर्ण मनुष्य -जोति की कथा है। अगर कोई व्यक्ति अपने अतीत में झांककर देख सके, तो वह देखना, वह दृष्टि पूरे भविष्य को बदल देती है। फिर वैसे के वैसे बने रहना संभव नहीं है।
एक सत्तर वर्ष के वृद्ध सज्जन ने बहुत ही साहस से हवाई जहाज में उड़ान भरने का निश्चय किया।
और वे हवाई जहाज में जाकर बैठ गए। जब उड़ान पूरी होने के बाद वे हवाई जहाज से बाहर निकलने लगे तो पायलट की ओर मुड़कर बोले, 'श्रीमान, मैं आपको दोनों उड़ानों के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं।'
'आप क्या कह रहे हैं?' पायलट ने कहा, 'आपने तो एक ही उडान भरी है।'
'नहीं, जनाब,' उस वृद्ध सज्जन ने कहा, 'मैंने दो उड़ाने भरी हैं –मेरी जिंदगी की पहली और अंतिम उड़ान।'