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प्रश्नों से इतने भरे हुए हो कि जरा भी कहीं कोई रिक्त स्थान नहीं है। और मन स्वयं को ही बारबार दोहराते चले जाने में बहुत कुशल होता है। मन बहुत ही अड़ियल और जिद्दी होता है। अगर मन स्वयं के रूपांतरण का दिखावा करता भी है तो वह रूपांतरण वास्तविक नहीं होता है, वह मात्र एक दिखावा ही होता है, पुरानी आदतों का ही सुधरा हुआ रूप होता है। हो सकता है मन अलग शब्दावली का प्रयोग करे, पूछने का ढंग अलग हो, लेकिन गहरे में प्रश्न वही का वही होता है। और मन वैसा ही बना रहता है।
इसे समझना। यह प्रश्न अच्छा है। कम से कम यह प्रश्न तो पुराना नहीं है।
प्रश्न सरोज का है। वह अक्सर प्रश्न भेजती रहती है, और मैंने उसके प्रश्नों का कभी उत्तर नहीं दिया है, लेकिन आज मैंने तय किया है कि उत्तर देना है, क्योंकि उसे एक नई झलक मिली है और उसे एक बात समझ आ गई है. कि वह फिर-फिर वही पुराने प्रश्न करती है। यह समझ नई है। उसके भीतर एक नई सुबह का, एक नई उषा-काल का, एक नई भोर का उदय हुआ है। उसकी चेतना निश्चित रूप से मन के पुराने ढांचे के प्रति सजग हुई है। इस सजगता को बढ़ाना; इस सजगता को बढ़ने में सहयोग देना। तो धीरे -धीरे तू स्वयं को दो आयामों में देखने लगेगी. मन का आयाम-जों पुराना है, अतीत का है, और चैतन्य का आयाम–जों सदा ताजा है, नया है, मौलिक हैं।
मैं तुम से एक कथा कहना चाहूंगा:
एक आदमी ने बहुत ही गुस्से में दौड़ते हुए सड़क पार की, और एक आदमी जो अपने रास्ते जा रहा था, उसके पास जाकर खूब जोर से उसकी पीठ पर एक मुक्का जमा दिया।
उसका अभिवादन करते हुए वह बोला, 'पॉल पोर्टर, तुम्हें देखकर मैं कितना खुश हो गया हूं! लेकिन पाल, जरा यह तो बताओ कि आखिर तुम्हें हो क्या गया था? पिछली बार जब मैं तुमसे मिला था, तब तुम छोटे और मोटे थे। अचानक तुम लंबे और पतले कैसे लगने लगे हो।' उलझन में पड़े हुए उस आदमी ने कहा, 'देखिए जनाब, मैं पॉल पोर्टर नहीं हूं।'
उस निर्भीक आदमी ने तिरस्कारपूर्ण ढंग से जोर से कहा, 'ओह! अच्छा, तो तुम ने अपना नाम भी बदल लिया है?'
मन की स्वयं में ही विश्वास किये जाने की जिददी आदत होती है –चाहे उसके खिलाफ कितने ही विरोधी तथ्य क्यों न मौजूद हों। चाहे पुराना मन दुख, नरक और पीड़ा के अतिरिक्त कुछ भी न देता हो, फिर भी तुम उसी पर विश्वास किए चले जाते हो।
लोग कहते हैं, यह अविश्वास का जमाना है। मुझे ऐसा नहीं लगता व मन में आज भी वही पुराना विश्वास जमा हुआ है। कोई हिंदू है; वह हिंदू धर्म में विश्वास करता है, क्योंकि उसका मन हिंदू होने के