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इंतजाम कर रखा था। वह सदा सोचता था, 'यदि किसी के पास आनंद है, तो वह अपनी कीमत मांगेगा; और कीमत चुकानी पड़ेगी। और जीवन में ऐसा कुछ नहीं है जिसे तुम बिना कीमत चुकाए पा सको।' इसलिए वह अपने साथ हीरे लाया था। वे हीरे लाखों रुपए के थे।
उसने दे दी थैली और कहा, 'देखो।'
तत्क्षण उस सूफी संत ने उसके हाथ से थैली ले ली और भागा। उस अमीर व्यक्ति को कुछ पल तो विश्वास ही न आया कि क्या हो गया। जब उसकी समझ में बात आई तो वह भी भागा रोताचिल्लाता, 'मुझे लूट लिया!'
निश्चित ही, सूफी फकीर जानता था गांव के रास्ते, और वह तेज दौड़ सकता था। और वह फकीर था, मजबूत था, और वह अमीर आदमी अपने जीवन में कभी किसी के पीछे न भाग। था। तो वह रो रहा था, चीख रहा था, चिल्ला रहा था... और सारा गांव इकट्ठा हो गया, और लोग कहने लगे, 'हमने तो तुमसे पहले ही कहा था : मत जाओ; वह पागल है। कोई नहीं जानता कि वह क्या करेगा।' और गांव भर में उत्तेजना फैल गई। वह अमीर आदमी बहुत परेशान हो गया। उसके जीवन भर की कमाई डूब गई-और मिला कुछ भी नहीं।
गांव में चारों ओर चक्कर लगा कर, सूफी फकीर उसी पेड़ के नीचे लौट आया जहां कि घोड़ा अभी भी खड़ा हुआ था। उसने थैली घोड़े के पास रख दी, पेडू के नीचे बैठ गया, आंखें बंद कर ली, और मौन हो गया। वह अमीर आया दौड़ता हुआ, बुरी तरह हाफता हुआ, पसीने से लथपथ, आंसू बह रहे थे-उसका सारा जीवन दाव पर लगा था। फिर अचानक उसने देखा कि थैली तो पड़ी है घोड़े के पास. उसने उसे उठा कर हृदय से लगा लिया, नाचने लगा, इतना खुश हो गया.!
सूफी फकीर ने अपनी आंखें खोली और कहा, 'देखो! क्या मैंने तुम्हें कुछ अनुभव दिया कि आनंद क्या होता है?'
तुम्हें दुख को जानना होता है, केवल तभी तुम जानते हो कि आनंद क्या है। तुम्हें जरूरत होती है एक पृष्ठभूमि की। प्रत्येक अनुभव एक अनुभव बनता है-पृष्ठभूमि के विपरीत में। बुद्ध को संसार में आना पड़ता है, यह अनुभव करने के लिए कि वे बुद्ध हैं। तुम्हें आना पड़ता है संसार में और पीड़ा भोगनी पड़ती है, यह जानने के लिए कि तुम कौन हो। इसके बिना कहीं कोई संभावना नहीं है।
तुम उसी अवस्था में हो, जिसमें कि वह अमीर था-दौड़ रहा सूफी संत के पीछे; हर चीज लुट चुकी; चीख रहा और रो रहा। मैं देख सकता हूं : हर चीज लुट चुकी है; तुम दौड़-भाग रहे हो संसार के इस गाव में। रास्ते मालूम नहीं, तुम लुट भी चुके हो। तुम एकदम अंतरतम तक दुखी हो, पीड़ित हो। दौड़ना, दौड़ना और दौड़ना. एक दिन तुम लौट आओगे वृक्ष की ओर; तुम फिर से पा लोगे थैली। तुम नाच उठोगे; तुम आनंदमग्न हो जाओगे। तुम कहोगे, 'अब मैं जानता है कि आनंद क्या है।'