SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 38
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अच्छा है, लेकिन निरंतर सफाई में लगे रहना पागलपन है। और मन अतियों में डोलता है। तुम या तो गंदे रहते हो, तब तुम नहाते ही नहीं एक इतालवी संन्यासिनी को मैं जानता था। वह एक कैम्प में साथ थी। मैं बहुत चकित हुआ, वह कभी स्नान ही नहीं करती थी! तो मैंने पूछा और उसने बताया कि साल में एक बार वह स्नान करती है। और वह चकित होकर पूछने लगी, 'क्या यह काफी नहीं है-साल में एक बार स्नान?' और फिर ब्राह्मण हैं जो कुछ और कर ही नहीं रहे-बस, केवल स्नान कर रहे हैं! एक आदमी को मैं जानता हं वह करीब का रिश्तेदार है, थोड़ा सनकी आदमी है। वह सारी जिंदगी अविवाहित ही रहा। केवल एक बात को छोड़ कर हर ढंग से अच्छा आदमी है। और वह एक बात भी निर्दोष है, किसी का नुकसान नहीं होता, लेकिन उसका पूरी तरह नुकसान हो गया है। वह गरीब आदमी है, क्योंकि ज्यादा उसने कभी कमाया नहीं। अपने पिता द्वारा छोड़ी गई संपत्ति पर ही जीया है। और उसे बहुत कंजूसी से जीना पड़ता है, क्योंकि उसके पास कुछ ज्यादा नहीं है और जो है उसे पूरी जिंदगी चलाना है। और कमाने के लिए उसके पास समय नहीं है उस सनक के कारण; और वह सनक है सफाई। दिन भर वह अपना घर साफ करता रहता है। साफ करने के लिए कुछ है नहीं : एक छोटा सा कमरा है, वह उसे ही साफ करता रहता है। फिर वह स्नान करेगा। और यह उसकी सनक का हिस्सा है कि यदि वह किसी स्त्री के लिए देख ले, तो फिर स्नान करेगा, क्योंकि वह कुंआरा है, बाल ब्रह्मचारी, कि स्त्री की छाया मात्र अशुद्ध कर जाती है उसे! वह पानी लाने के लिए एक सार्वजनिक नल पर जाता है। वह एकदम सुबह चला जाता है जिससे कि रास्ते में कोई उसे मिले नहीं, क्योंकि अगर कोई स्त्री राह से गुजर जाए तो वह फिर से साफ करेगा अपना बर्तन। पानी फेंक देगा, बर्तन साफ करेगा, फिर से पानी लाएगा। और कभी-कभी ऐसा हआ कि तीस, चालीस, साठ बार गया होगा वह पानी भरने-पूरे दिन! और तुम किसी का आना-जाना तो रोक नहीं सकते, और लोग गुजर रहे हैं, और उतनी ही स्त्रियां हैं जितने कि पुरुष। कठिन है बात। और वह चूक सकता नहीं-वह तो तलाश ही रहा है स्त्रियों को। यदि वह बहुत दूर से भी देख ले किसी स्त्री को, तो तुरंत.। सारा दिन व्यर्थ हो जाता है। वह इतनी सफाई से रहता है, लेकिन क्या करेगा इस सफाई का? सारा जीवन व्यर्थ गया। स्मरण रहे कि संतुलन सदा ठीक है। गंदे भी मत रहो; गंदगी से भी मत जुड़ जाओ। अब हिप्पी सम्मोहित हैं गंदगी से। यह एक प्रतिक्रिया है। यह कोई स्वतंत्रता नहीं है, क्योंकि प्रतिक्रिया कभी स्वतंत्रता नहीं हो सकती। ईसाइयत बहुत ज्यादा जोर देती है स्वच्छता पर। उनके पास एक मुहावरा है कि क्लीनलीनेस इज नेक्स टु गॉडलीनेस। उन्होंने बहुत ज्यादा जोर दिया स्वच्छता पर, अब नई पीढ़ी ने, आधुनिक पीढ़ी ने विद्रोह कर दिया है इसके विरुद्ध। अब हिप्पी स्नान नहीं करते। वे कोई फिक्र नहीं करते कपड़ों को धोने की-जैसे कि गंदगी ही उनकी साधना हो गई है; गंदे रहना उनका अनुशासन हो गया है। वे सोचते हैं कि वे समाज के पुराने ढांचे से पूरी तरह मुक्त हो गए हैं।
SR No.034097
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages431
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy