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पश्चिम में एमाइल कुए ने एक विशिष्ट नियम खोजा है जिसे वह ली आफ रिवर्स इफेक्ट कहता है'विपरीत प्रभाव का नियम' । वह मनुष्य - मन की सर्वाधिक आधारभूत बातों में से एक है। कुछ चीजें हैं जिन्हें यदि तुम करना चाहते हो, तो कृपया उन्हें करने की कोशिश मत करना, अन्यथा विपरीत प्रभाव होगा।
उदाहरण के लिए, तुम्हें नींद नहीं आ रही है. तो प्रयास मत करना नींद लाने का। यदि तुम प्रयास करते हो, तो नींद और मुश्किल हो जाएगी। यदि तुम बहुत ज्यादा प्रयास करते हो तो नींद असंभव हो जाएगी, क्योंकि प्रत्येक प्रयास नींद के विपरीत है नींद तभी आती है जब कोई प्रयास
तुम्हें
नहीं होता। जब तुम्हें नींद की कोई फिक्र नहीं होती, तुम बस अपने तकिए पर लेटे होते हो, बस आनंद लेते हो तकिए की शीतलता का या कंबल की उष्मा का उस अंधेरे मखमली वातावरण का जो घेरे हु है। बस विश्राम में होते हो - और कुछ नहीं । तुम नींद के विषय में सोच तक नहीं रहे होते। कुछ चित्र गुजरते हैं मन से तुम उन्हें तटस्थ भाव से देखते हो, उनमें भी कोई बहुत ज्यादा रस नहीं होता है तुम्हें, क्योंकि यदि रस पैदा हो जाए तो नींद खो जाती है। बस तुम उनसे अलग बने रहते हो, लेटे रहते हो, विश्राम कर रहे होते हो, कोई लक्ष्य नहीं होता और नींद आ जाती है।
अगर तुम कोशिश करने लगो कि नींद आनी ही चाहिए, तो जब यह 'चाहिए' बीच में आ जाता है तो बात करीब-करीब असंभव हो जाती है तब तुम सारी रात जागते रह सकते हो। और यदि तुम्हें नींद आ भी जाती है, तो केवल इसीलिए कि प्रयास द्वारा तुम थक जाते हो। और जब कोई प्रयास नहीं रहता- क्योंकि तुमने सब कुछ कर लिया होता है और तुम हार कर सब छोड़ देते हो तब नींद आ जाती है।
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एमाइल कुए ने अभी इसी सदी में ही 'विपरीत प्रभाव का नियम खोजा। पतंजलि इसे करीब पांच हजार वर्ष पहले ही जानते थे। वे कहते हैं- प्रयत्न शैथिल्य - प्रयास की शिथिलता। तुमने ठीक उलटी बात सोची होती कि बहुत प्रयास करना होगा आसन सिद्ध करने के लिए और पतंजलि कहते हैं, 'यदि तुम बहुत ज्यादा प्रयास करते हो, तो यह संभव नहीं होगा। अप्रयास में ही यह घटता है।'
सारे प्रयास छूट जाने चाहिए पूरी तरह से, क्योंकि प्रयास संकल्प का ही हिस्सा है और संकल्प समर्पण के विपरीत है। यदि तुम कुछ 'करने की कोशिश करते हो, तो तुम परमात्मा को नहीं करने दे रहे हो। जब तुम समर्पण कर देते हो, जब तुम कह देते हो, 'ठीक है; तेरी मर्जी पूरी हो। अगर तुम भेज रहे हो
नींद को बिलकुल ठीक। अगर तुम नहीं भेज रहे हो नींद को वह भी ठीक। मेरी कोई शिकायत नहीं; मैं
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कोई शिकायत नहीं करता। तुम बेहतर जानते हो। अगर मेरे लिए नींद जरूरी है तो भेज दो। अगर जरूरी नहीं है तो बिलकुल ठीक-मत भेजो। कृपया, मेरी मत सुनो! तुम्हारी मर्जी पूरी होनी चाहिए।' इसी भांति कोई प्रयास को छोड़ता है।