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आकर्षित होंगे मादक द्रव्यों की ओर। जितने ज्यादा वे न्यूरोटिक होंगे, उतनी ज्यादा मादक द्रव्यों की जरूरत होगी।
केवल ज्यादा ध्यान-मंदिरों से, संसार भर में ज्यादा ध्यान- प्रक्रियाओं से ज्यादा ध्यान में डूबे लोगों से ही मदद संभव है जब तुम ध्यान करते हो, तो तुम सही दिशा में बढ़ने लगते हो देर अबेर मादक द्रव्य अपने आप ही छूट जाएंगे। उन्हें छोड़ने की जरूरत नहीं पड़ेगी; वे अपने आप छूट जाएंगे।
यह ऐसा ही है जैसे तुम पत्थर लिए घूम रहे हो रंगीन पत्थर और फिर अचानक मैं तुम्हें असली हीरे दे देता हूं। तो क्या तुम उन रंगीन पत्थरों को अपने हाथों में लिए रहोगे? क्या उन्हें छोड़ने के लिए तुम्हें कोई प्रयास करना पड़ेगा? तुम तो बस पाओगे कि वे छूट गए. मुट्ठियां खुल जाएंगी और पत्थर गिर जाएंगे, क्योंकि अब हीरे उपलब्ध हैं और अब यदि तुम उन पत्थरों को पकड़े रहना चाहते हो, तो तुम्हें हीरे छोड़ने पड़ेंगे।
तो स्पष्ट करने की कोई जरूरत नहीं है। यह बात स्वयं स्पष्ट है।
नौवां प्रश्न:
आपने कहा 'जीवन एक कहानी है अस्तित्व की मौन शाश्वतता में तो फिर मनुष्य क्या है?
कहानी कहने वाला एक जानवर।
अरस्तु ने मनुष्य की व्याख्या रेशनल बीइंग, तार्किक प्राणी की तरह की है। लेकिन मनुष्य तार्किक नहीं है और यह अच्छा है कि वह तार्किक नहीं है। मनुष्य निन्यानबे प्रतिशत अतार्किक है; और अच्छा है कि वह ऐसा है, क्योंकि अतर्क्स से ही वह सब आता है जो सुंदर है और प्रीतिकर है। तर्क से आता है गणित, अतर्क्स से आता है काव्य; तर्क से आता है विज्ञान, अतर्क्स से आता है धर्म तर्क से आता है बाजार, धन, रुपया, डॉलर्स, अतर्क्य से आता है प्रेम, गीत, नृत्य । नहीं, यह अच्छा है कि मनुष्य तार्किक प्राणी नहीं है, मनुष्य अतार्किक है।
मनुष्य की बहुत सी परिभाषाएं की गई हैं। मैं कहना चाहूंगा : मनुष्य कहानी गढ़ने वाला प्राणी है। वह मिथक निर्मित कर लेता है-मनगढ़त किस्से-कहानियां सारे पुराण कहानियां हैं। मनुष्य जीवन के विषय में, अस्तित्व के विषय में कहानियां निर्मित कर लेता है।