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ऐसा हुआ जीसस के साथ लोग एक स्त्री को लेकर उनके पास आए और सारा शहर पागल हुआ जा रहा था। मूढ व्यक्ति सदा पागल होते हैं; भीड़ सदा पागल होती है-छोटी-छोटी बातो के लिए, वस्तुत: ना कुछ बातो के लिए उन्होंने कहा, इस स्त्री ने पाप किया है। यह व्यभिचारिणी है तो क्या करना चाहिए हमें इसके साथ? पुराने शास्त्र कहते हैं कि इसे पत्थर मार-मार कर मार डालना चाहिए।'
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वे एक तीर से दो शिकार करना चाहते थे – उस स्त्री और जीसस दोनों को मुश्किल में डालना चाहते थे क्योंकि अगर जीसस कहते, ही, पुराना शास्त्र सही है। इस स्त्री को मार डालो।' तो वे पूछते, 'आपके सिद्धात का क्या हुआ कि अपने शत्रु से भी प्रेम करो? आपके सिद्धात का क्या हुआ कि दूसरा गाल सामने कर दो? अगर कोई तुम्हारे एक गाल पर मारता है तो उसे दूसरा गाल भी दे दो? आप क्षमा के सिद्धात का क्या हुआ? क्या आप उसे बिलकुल ही भूल गए?' और अगर जीसस कहते हैं कि पुराना शास्त्र गलत है, तो वे अधार्मिक हैं, धर्मद्रोही हैं - वें विरुद्ध हैं शास्त्रों के। उन्हें मार डालना चाहिए। लोग तैयार ही थे। असल में स्त्री में उन्हें ज्यादा रस न था; उन्हें जीसस में ज्यादा रस था। स्त्री तो केवल बहाना थी जीसस को घेरने के लिए।
जीसस सोचते रहे कुछ देर । निर्णय में देर नहीं लगती है, क्योंकि वह बना-बनाया तैयार होता है। वह तैयार ही होता है, रेडीमेड होता है बंधा बंधाया होता है। एक सजग व्यक्ति थोड़ा ठहरता है, देखता है चारों तरफ, अनुभव करता है, अपने बोध के स्पर्श से टटोलता है पूरी बात - कि स्थिति क्या है? उन्होंने देखा वहां बैठी हुई उस गरीब स्त्री को आंसू बह रहे थे। उन्होंने देखा इन क्रोधित व्यक्तियों को उन्होंने अनुभव किया पूरी स्थिति को फिर उन्होंने कहा, 'हां, शास्त्र की आशा है कि इस स्त्री को पत्थर मार-मार कर मार डालो, लेकिन पहला पत्थर वह आदमी मारे जिसने कभी कोई पाप न किया हो। अगर तुमने कभी व्यभिचार नहीं किया, अगर तुमने कभी व्यभिचार का सोचा भी नहीं, तो उठाओ
पत्थर ।'
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वे नदी के किनारे बैठे हुए थे, बहुत सारे पत्थर पड़े थे आस-पास । जो लोग बिलकुल आगे-आगे खड़े थे - शहर के सम्मानित व्यक्ति-वे पीछे हटने लगे। वे भयभीत हो गए; अब यह खतरनाक बात थी। धीरे- धीरे सब लोग वहा से चले गए। केवल जीसस और वह स्त्री रह गए। उस स्त्री ने जीसस को बहुत श्रद्धा से देखा। बहुत अदभुत बात है वे सम्मानित व्यक्ति नहीं पहचान सके जीसस को और पापी ने पहचान लिया!
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वह स्त्री जीसस के चरणों में गिर पड़ी और उसने कहा, 'मैंने पाप किया है। मुझे क्षमा करें।' जीसस ने कहा, 'यह बात तुम्हारे और तुम्हारे परमात्मा के बीच की है। मैं कौन होता हूं निर्णय करने वाला? अगर तुम सोचती हो कि तुमने कुछ गलत किया है तो याद रखना और उसे फिर मत करना, बस इतना ही। लेकिन मैं कौन होता हूं निर्णय करने वाला और कहने वाला कि तुम पापी हो। यह तुम्हारे और तुम्हारे परमात्मा के बीच की बात है।'