________________
पास, लेकिन तुम आधे-आधे मन से आते हो। यह कोई आना नहीं है; यह आना बिलकुल ही आना नहीं है। केवल लगता है कि तुम मेरे पास आते हो, लेकिन तुम आते कभी नहीं।
मैं वचन देता हूं कि मैं कोई कमी नहीं रखूगा, लेकिन क्या तुम यहां हो? क्या तुम मेरे पास हो, निकट हो? तुम बहुत होशियार और चालाक हो, जब तुम निकट भी होते हो तो तुम हजारों तरीकों से बचाए रखते हो स्वयं को।
उदाहरण के लिए, तुम्हारे प्रश्न, तुम्हारे व्यवहार भी, बचावपूर्ण होते हैं। और तुम जानते नहीं कि तुम किसे बचा रहे हो। मैं जानता हूं तुम में से एक को, एक बहुत कंजूस स्त्री-वह यहां आई है बुद्धत्व पाने के लिए। लेकिन वह जब से यहां आई है, तब से प्रश्न पूछे जा रही है. आश्रम के पास इतनी कीमती कार क्यों है? मैं इतनी कीमती घड़ी क्यों पहनता है?
उसे कार से या घड़ी से क्या लेना-देना है? केवल ऐसे ही प्रश्न क्यों उठ रहे हैं उसके मन में? उसकी अपनी कंजूसी बचाव कर रही है। मैं जानता हूं वह पक्की कंजूस है और जब तक उसकी कंजूसी की आदत टूटती नहीं, वह विकसित नहीं हो सकती है।
यह बात मेरे निर्णय की है कि कौन सी कार लेनी है और कौन सी नहीं। और मेरे अपने कारण हैं, और तुम नहीं समझ सकते मेरे कारणों को। मैं उसका उपयोग कभी नहीं करता, लेकिन वह है मेरे पास। बस वह है। लेकिन इस कार ने चमत्कार किया; इसने बहुत सी चीजें बदल दीं। कुछ कंजूस मुझे घेरे रहते थे, मारवाड़ी, और वे मुझे छोड़ते न थे। मैंने यह कार क्या खरीदी, वे सब चले गए! वे बस चले ही गए; उन्होंने मुड़ कर भी नहीं देखा। दो संभावनाएं थीं; या तो उन्हें अपनी कंजूसी छोड़नी पड़ती, तो वे यहां रुक सकते थे; या फिर उन्हें मुझे छोड़ना पड़ता। और जब से वे गए हैं, आश्रम का माहौल बदल गया है। गंदे थे वे लोग। लेकिन मैं किसी को जाने के लिए कह नहीं सकता। मुझे कोई उपाय करना पड़ता है। उस कार ने अपने मूल्य से ज्यादा का काम किया। किंतु तुम जानते नहीं। लेकिन तुम्हें इन चीजों की फिक्र करने की जरा भी जरूरत नहीं है।
गुरजिएफ कहा करता था, जब भी कोई आता तो वह कहता, 'अपना सारा पैसा मुझे दे दो।' बहुत से लोगों ने उसे केवल इसी कारण छोड़ दिया; क्योंकि वे तो आध्यात्मिक गुरु के पास आए थे और वह उनके पैसे हड़पने के चक्कर में है। लेकिन जो टिक गए वे रूपांतरित हो गए। ऐसा नहीं कि गुरजिएफ को पैसे से कुछ लेना-देना था, उसे तो उनकी कंजूसी तोड़ने में रुचि थी, क्योंकि अगर तुम कंजूस हो तो तम विकसित नहीं हो सकते। कंजस व्यक्ति की सारी चेतना सिकड़ जाती है। कंजुसी कब्जियत रोग है तुम्हारी अंतस सत्ता का, तुम विकसित नहीं हो सकते, तुम बांट नहीं सकते, तुम प्रवाह नहीं हो सकते। कंजूसी मन का एक पागलपन है; हर चीज कठोर हो जाती है। और पैसा ही ईश्वर हो जाता है। तुम्हें सच्चा ईश्वर देने के लिए तुम्हारे झूठे ईश्वर को तोड़ देना है। तो पहली बात गुरजिएफ पैसे के विषय में पूछेगा।