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बीस वर्षों तक शाकाहारी रहने के बाद अचानक तुम्हें मांस दिया जाता है खाने के लिए : तुम्हारे पूरे प्राण विकर्षण अनुभव करेंगे। यदि तुम विचलित अनुभव करते हो तो तंत्र कहता है, 'तुम अस्वीकृत हुए। अब इसके पार जाओ। अब जो कुछ भी दिया जाए, उसे अनुग्रहपूर्वक स्वीकार करो।' तुम जानते हो कि यदि तुम एक वर्ष तक शाकाहारी रहे हो और अचानक मांस सामने आ जाए, तो तुम उबकाई अनुभव करने लगोगे, मितली आने लगेगी। यदि ऐसा होता है, तो उसका मतलब है कि व्यक्ति अभी भी विचारों में जी रहा है क्योंकि यह केवल एक विचार ही है कि यह मांस है और यह सब्जी है। शाक-सब्जी भी मांस है, क्योंकि वह वृक्ष के शरीर से आती है; और मांस भी वनस्पति है, क्योंकि वह मनुष्य-शरीर या पशु-शरीर के वृक्ष से आता है। तो यह नैतिकता का अतिक्रमण है।
और फिर उसे तेज नशों के लिए तैयार किया जाता। यदि वह वस्तुत: सजग है तो उसे कुछ भी दिया जाएगा, वह शरीर के रसायन को बदलेगा, लेकिन चेतना को नहीं बदल सकता; उसकी चेतना शरीर के रसायन के ऊपर ही बनी रहेगी।
गुरजिएफ खूब शराब पीया करता था–जितनी तुम सोच सकते हो उतनी शराब पीता था। लेकिन कभी भी होश नहीं खोता था, कभी भी बेहोश नहीं होता था। वह तांत्रिक गुरु था। यदि तुम पश्चिम में किसी में रस लेना चाहते हो तो वह है जार्ज गुरजिएफ-कोई तिब्बती शरणार्थी नहीं।
आज इतना ही।
प्रवचन 47 - पहले शुद्धता-फिर शक्ति
योग-सूत्र
(साधनपाद)
अहिंसासत्यास्तेयब्रह्मचर्यापरिग्रहा यमा:।। 30।।
योग के प्रथम चरण यम के अंतर्गत आते है ये