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तुम पाओगे कि तुम्हें भूख लग आती है; रोज उसी समय तुम पाओगे कि तुम्हें नींद आ जाती है। जीवन नियमित हो जाएगा।
लेकिन यदि तुम भयभीत हो सहजता से, जैसे कि लोग भयभीत हैं, क्योंकि संस्कृति है, सभ्यता है, धर्म है-संसार की सारी जहरीली चीजें हैं-उन्होंने तुम्हें भयभीत कर दिया है सहजता से; वे कहती हैं कि तुम एक जानवर छिपाए हुए हो अपने भीतर और यदि तुम सहज होते हो तो तुम भटक सकते हो। तो यदि तुम बहुत ज्यादा भयभीत हो सहजता से, तो पतंजलि को सुनना।
पतंजलि मेरे लिए सदा दवितीय चुनाव रहे हैं, प्रथम कभी नहीं रहे। वे उन रुग्ण व्यक्तियों के लिए हैं जो संस्कृति द्वारा दूषित हो गए हैं, अस्वाभाविक हो गए हैं; सभ्यता और धर्म द्वारा विषाक्त हो गए हैं, पंडित-पुरोहितों द्वारा विकृत हो गए हैं। तब पतंजलि हैं। पतंजलि एक चिकित्सा हैं। इसीलिए मैं कहता है कि पतंजलि निन्यानबे प्रतिशत लोगों के लिए उपयोगी हैं, क्योंकि निन्यानबे प्रतिशत लोग बीमार हैं। यह पृथ्वी एक बड़ा अस्पताल है। पतंजलि एक चिकित्सक हैं, एक वैज्ञानिक हैं।
झेन स्वाभाविक, सहज लोगों के लिए है, निर्दोष बच्चों के लिए है। यदि किसी दिन कोई सुंदर संसार होगा, तो पतंजलि को भुला दिया जाएगा; लेकिन झेन रहेगा। यदि यह संसार और- और ज्यादा बीमार हो जाएगा, तो झेन को भुला दिया जाएगा; केवल पतंजलि होंगे।
झेन कहता है कि स्वाभाविक रहो। क्या तुमने प्रकृति पर ध्यान दिया है? क्या तुमने प्रकृति की सहज-स्वाभाविकता और नियमितता दोनों को देखा है? वर्षा आती है, गर्मी आती है, सर्दी आती हैएक नियमित कम में ऋतुएं घूमती रहती हैं। और यदि तुम कोई अव्यवस्था पाते हो, तो वह तुम्हारे ही कारण है, क्योंकि मनुष्य ने अव्यवस्थित कर दिया है प्रकृति की इकालॉजी को, उसके मौसम के तालमेल को, वरना प्रकृति इतनी नियमित थी-और इतनी सहज-स्वाभाविक थी। तुम सदा जान लेते थे कि अब वसंत आने वाला है। तुम देख सकते थे वसंत की पगध्वनि को चारों ओर-पक्षियो के गीतों में, वृक्षों में, चारों तरफ फैलता एक उत्सव, एक आह्लाद। सब सुनिश्चित था, नियमित था। लेकिन अब तो हर चीज अव्यवस्थित हो गई है। ऐसा प्रकृति के कारण नहीं हुआ है। मनुष्य ने केवल मनुष्य को ही विषाक्त नहीं किया है; मनुष्य प्रकृति को भी विषाक्त करने में लगा हुआ है। अब हर चीज अनियमित है. तुम नहीं जानते कि कब वर्षा होगी; तुम नहीं जानते कि इस वर्ष वर्षा कम होगी या ज्यादा होगी; तुम नहीं जानते कि इन गर्मियों में कितनी गरमी होगी।
प्रकृति की नियमितता डांवाडोल हुई है तुम्हारे कारण, क्योंकि तुमने वर्तुल तोड़ दिया है। अन्यथा प्रकृति तो नितांत सहज-सरल है-और प्रकृति को किसी पतंजलि की जरूरत नहीं है। अब जरूरत होगी। अब इकॉलॉजी को ठीक करने के लिए पतंजलि की जरूरत है।
तो तुम्हें चुनना है। यदि तुम झेन को चुनते हो तो पतंजलि को भूल जाना; वरना तुम बहुत उलझ जाओगे। और मैं तुमसे कहता हूं कि पतंजलि अपने आप आ जाएंगे-तुम्हें चिंता करने की जरूरत