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क्या अस्तित्व मुझसे प्रेम करता है?
यह प्रश्न पूछना गलत है। तुम्हें इसके विपरीत पूछना चाहिए, 'क्या तुम प्रेम करते हो अस्तित्व
से? क्योंकि अस्तित्व कोई व्यक्ति नहीं है, वह प्रेम नहीं कर सकता तुमसे। उसका कोई केंद्र नहीं है, या कि तुम कह सकते हो सब जगह उसका केंद्र है। लेकिन वह एक निर्वैयक्तिक घटना है। निर्वैयक्तिक अस्तित्व कैसे प्रेम कर सकता है तुमसे? तुम प्रेम कर सकते हो।
लेकिन जब तुम प्रेम करते हो, तो अस्तित्व प्रतिसंवेदन करता है-समग्रता से प्रतिसंवेदन करता है। यदि तुम एक कदम उठाते हो अस्तित्व की ओर, तो अस्तित्व हजारों कदम उठाता है तुम्हारी -ओर, लेकिन वह एक प्रतिसंवेदन ही है।
तुम्हें लाओत्सु की बात समझनी होगी। लाओत्सु कहता है कि अस्तित्व का स्वभाव स्त्रैण है। स्त्री प्रतीक्षा करती है; वह कभी पहल नहीं करती। पुरुष को आगे आना पड़ता है और पहल करनी
पड़ती है। पुरुष को आग्रह और प्रणय-निवेदन करना पड़ता है और राजी करना पड़ता है। अस्तित्व स्त्रैण है-वह प्रतीक्षा करता है। तुम्हें निवेदन करना होता है; तुम्हें प्रेम प्रकट करना होता है; तुम्हें पहल करनी होती है.. और तब अस्तित्व बरसता है तुम पर-असीम बरसता है, भर देता है अनंतअनंत दवारों से। ठीक स्त्री की ही भांति : जब तुमने राजी कर लिया होता है उसे, तो वह अपने को न्यौछावर कर देती है।
कोई पुरुष इतना प्रेमपूर्ण नहीं हो सकता जितनी कि स्त्री हो सकती है। पुरुष तो सदा आशिक प्रेमी ही रहता है; उसका संपूर्ण अस्तित्व कभी भी प्रेम में नहीं डूबता। स्त्री समग्ररूपेण डूबती है प्रेम में, वही उसका पूरा जीवन होता है, उसकी प्रत्येक श्वास होती है। लेकिन वह प्रतीक्षा करती है। वह कभी पहल न करेगी; वह कभी तुम्हारा पीछा न करेगी; और यदि कोई स्त्री तुम्हारा पीछा करे-तो चाहे कितनी ही सुंदर क्यों न हो वह स्त्री-तुम भयभीत हो जाओगे उससे। वह स्त्रैण न जान पड़ेगी। वह इतनी आक्रामक लगेगी कि उसका सारा सौंदर्य कुरूपता में बदल जाएगा। स्त्री निष्क्रिय होती है, पैसिव होती है। खयाल में ले लेना इस शब्द को : निष्क्रिय, निष्क्रियता, पैसिविटी।
अस्तित्व मां है। ईश्वर को 'मां' कहना सदा ही बेहतर है 'पिता' कहने की अपेक्षा। पिता कहना उतना सुसंगत नहीं है। अस्तित्व मां है, स्त्रैण है, प्रतीक्षा कर रहा है तुम्हारी-प्रतीक्षा कर रहा है तुम्हारी सदा-सदा से। लेकिन दस्तक तो तुम्हें ही देनी होगी द्वार पर। यदि तुम दस्तक दो तो तुम द्वार खुला हुआ पाओगे, लेकिन यदि तुम दस्तक ही नहीं देते तो तुम खड़े रह सकते हो द्वार पर ही।