________________
प्रवचन 46 - ऊर्जा का रूपांतरण
प्रश्न-सार:
1-आप हमारे लिए कौन सा मार्ग उदघाटित कर रहे हैं?
2-आपके पास आकर ध्यानमय जीवन सरल और स्वाभाविक हो गया है। लेकिन मैंने बुद्धत्व की' आशा छोड़ दी है। क्या ये दोनों बातें विरोधाभासी हैं?
3-क्या अस्तित्व मझसे प्रेम करता है?
4-क्या दमन के मार्ग से चेतना की ऊंचाइओं को छना संभव है?
5-झेन की सहजता और योग का अनुशासन क्या कहीं आपस में मिलते हैं?
6-आपके विरुदध प्रचार करने के लिए मुझे आपका आशीर्वाद चाहिए।
7-प्रेम या ध्यान-किस दवार से प्रवेश करें?
8-आपके विरुद्ध हो रहे प्रचारों से घिरा साधक क्या करे?
9-आप किसी की निंदा नहीं करते, फिर सत्य साईंबाबा, कृष्णमूर्ति और अमरीकी गुरुओं की आलोचना क्यों करते है?
10-क्या केवल पुस्तकें पढ़ कर बुद्धत्व घट सकता है?
11-आपका सत्संग हमें घंटे, डेढ़ घंटे से ज्यादा क्यों नहीं मिलता?
12-योग के आठ चरणों का क्रम क्या किसी के लिए बदला भी जा सकता है?
13-तिब्बती गुरु चोग्याम बंगपा का शराब पीकर मूर्छित हो जाना उनकी क्या स्थिति बताता है?
पहला प्रश्न :