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तुम लट मरो में उसी सीमा तक उतर सकते हो जितना कि तुम स्वयं में उतर सको। यदि तुम स्वयं में उतर सको उसी सीमा तक तुम हर चीज में उतर सकते हो। जितनी ज्यादा गहराई से तुम भीतर बढ़ते हो, उतनी ज्यादा गहराई से तुम बाहर बढ़ सकते हो। लेकिन भीतर तुम इंच भर भी नहीं बढ़े हो, इसलिए जो तुम बाहर करते हो, वह स्वप्न जैसा है।
पतंजलि कहते हैं कि सम्यक ज्ञान का पहला स्रोत है तात्कालिक - प्रत्यक्ष ज्ञान, प्रत्यक्ष । उनका कोई संबंध नहीं है चार्वाकों से, प्राचीन भौतिकवादियो से, जो कहते थे कि प्रत्यक्ष - केवल जो नजरों के सामने है वही सत्य
यह शब्द प्रत्यक्ष, प्रत्यक्ष ज्ञान- इसके कारण बहुत भ्रम घटित हुआ है। भौतिक जड़वादियों की भारतीय शाखा चार्वाक कहलाती है। भारतीय भौतिकवाद का स्रोत थे बृहएकति। बहुत कुशाग्र विचारक, लेकिन एक विचारक ही एक बहुत गहन गंभीर दार्शनिक, लेकिन एक दार्शनिक ही; बोधप्राप्त चैतन्य नहीं। उन्होंने कहा कि केवल प्रत्यक्ष ही वास्तविक है और प्रत्यक्ष से उनका मतलब था कि जो कुछ भी तुम इंद्रियों द्वारा जानते हो वह यथार्थ है और वे कहते है कि बिना इंद्रियों के किसी चीज को जानने का कोई तरीका नहीं है। इसलिए केवल इंद्रियात्मक ज्ञान वास्तविक है चार्वाकों के लिए।
इसलिए बृहएकति ने अस्वीकार किया कि कोई ईश्वर हो सकता है क्योंकि किसी ने ईश्वर को कभी देखा नहीं है। केवल जो देखा जा सके वही वास्तविक हो सकता है, जो देखा नहीं जा सकता वह वास्तविक नहीं हो सकता है। ईश्वर नहीं है, क्योंकि तुम उन्हें नहीं देख सकते। आत्मा नहीं है, क्योंकि तुम उसे नहीं देख सकते। बृहएकति कहते है, यदि ईश्वर है, तो उसे मेरे सामने लाओ जिससे मैं देख सकूं। यदि मैं उसे देख सकूं, तो वह है, क्योंकि केवल देखना ही वास्तविकता है।'
वे भी प्रत्यक्ष ज्ञान शब्द का उपयोग करते है, लेकिन उनका अभिप्राय बिलकुल अलग है। जब पतंजलि प्रत्यक्ष शब्द का उपयोग करते है, तब उनका अर्थ अलग स्तर का होता है। वे कहते है कि वह ज्ञान जो किसी साधन द्वारा प्राप्त किया हुआ न हो, किसी माध्यम द्वारा उत्पन्न किया हुआ न हो, प्रत्यक्ष हो वास्तविक है और एक बार यह ज्ञान घटित हो जाता है, तो तुम वास्तविक बन जाते हो अब कुछ भी मिथ्या तुममें घटित नहीं हो सकता है जब तुम सत्य होते हो, प्रामाणिक स्वप्न से सत्य में बद्धमूल होते हो, तब भ्रांतियां असंभव हो जाती है। इसलिए यह कहा जाता है कि बुद्ध कभी सपने नहीं देखते। वह जो जागा हुआ है, सपने नहीं देखता है जिसमें सपने तक घटित नहीं होते, वह धोखे में नहीं आ सकता। वह सोता है, लेकिन तुम्हारी तरह नहीं। वह बिलकुल ही अलग तरीके से सोता है। गुण में भेद होता है। केवल उसका शरीर सोता है, विश्राम करता है। उसकी सत्ता जागरूक बनी रहती है।