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मुल्ला नसरुद्दीन के डॉक्टर ने उसे बिल भेजा। वह बहुत ज्यादा था। उसका बच्चा बीमार था। नसरुद्दीन का छोटा बेटा बीमार था। उसने डॉक्टर को फोन किया और कहने लगा, 'यह तो बहुत ज्यादा हुआ।' डॉक्टर बोला, 'किंतु मुझे नौ बार आना पड़ा तुम्हारे बेटे को देखने के लिए, इसलिए उसका हिसाब भी तो रखना है।' नसरुददीन बोला, और यह मत भूलिए कि मेरे बेटे ने सारे गांव में छूत फैला दी, और आप बहुत ज्यादा कमाते रहे है। वास्तव में आपको मुझे देना चाहिए कुछ! '
जब एक आदमी दुखी होता है, तब वह संक्रामक होता है। जैसे प्रसन्नता संक्रामक है ऐसे ही दुख संक्रामक है। और जैसे कि तुम हो, तुम दुख के प्रति खुले हुए हो क्योंकि तुम अनजाने ही हमेशा खोज रहे हो इसे। तुम्हारा मन दुख खोजता है क्योंकि दुख के साथ तुम सहानुभूति अनुभव करते हो। प्रसन्नता के साथ तुम्हें ईर्ष्या अनुभव होती है।
मुल्ला नसरुद्दीन की पत्नी एक बार मुझसे कहने लगी, 'सर्दियां आ रही है, इसलिए अगर आप नयी दिल्ली जा रहे हों तो मेरे लिए ड्रॉप-डेड कोट लेते आयें।' मैं चकित हआ। मैं नहीं समझा, क्या था उसका मतलब। फिर भी मैंने उससे कहा, 'मैं कोट इत्यादि के विषय में ज्यादा जानता नहीं तो भी मैने ऐसे किसी कोट के बारे में तो कभी सुना भी नहीं। कैसा होता है यह 'ड्रॉपडेड कोट?' वह बोली, 'आपने कभी नहीं सुना इसके बारे में?' फिर उसने हंसना शुरू कर दिया और कहने लगी, 'ड्रॉप-डेड कोट वह कोट होता है, जिसे आप पहनते है, तो उसे देखकर पड़ोसी तत्क्षण मर कर गिर जाते है।
बन सकते हो बहुत लोगों के दख का।
जब तक कि दूसरे मरने जैसी हालत में न हों, तुम जीवित अनुभव नहीं करते। जब तक दूसरे दुख में न हों, तुम प्रसन्न अनुभव नहीं करते। लेकिन कैसे तुम प्रसन्न अनुभव कर सकते हो जब दूसरे अप्रसन्न हों? और कैसे तुम वास्तव में जीवंत अनुभव कर सकते हो जबकि दूसरे मुरदा हों? हम एक साथ अस्तित्व रखते है और कई बार तम कारण बन सकते हो बहत लोगों के द तब तुम अर्जित कर रहे होते हो कोई कर्म फल। हो सकता है तुमने सीधे कोई चोट न की होगी उन्हें; तुम उनके प्रति हिंसात्मक न रहे होओगे। सूक्ष्म है यह नियम। जरूरी नहीं कि तुम हत्यारे ही हो, लेकिन यदि तुम अपने दुख द्वारा मात्र संक्रामक होते हो लोगों के प्रति, तो तुम उसमें सम्मिलित हो रहे हो; तुम दुख निर्मित कर रहे हो। और तुम इसके लिए जिम्मेदार होते हो। और तुम्हें कीमत चुकानी होगी इसकी। बहुत सूक्ष्म होती है यह प्रक्रिया।
अभी दो या तीन दिन पहले ही ऐसा हुआ कि एक संन्यासी ने आक्रमण कर दिया लक्ष्मी पर। तुमने शायद ध्यान भी न दिया हो कि तुम सब जिम्मेदार हो इसके लिए। क्योंकि तुममें से बहुत लोग शत्रुता अनुभव कर रहे थे लक्ष्मी के प्रति। वह संन्यासी तो मात्र प्रभावित है, पीड़ित है सिर्फ, एक दुर्बलतम क्ली है तुम्हारे बीच की। उसने तुम्हारे विरोध को ही अभिव्यक्त कर दिया है, बस। वह सबसे दुर्बल था। वह प्रभावित हो गया। और अब तुम्हें लगेगा कि वही जिम्मेदार है। यह सच नहीं है। तुमने भी इसमें हिस्सा लिया है। सूक्ष्म है नियम।