________________
साधारण व्यक्ति न रहे। वे कुछ चुनिंदा हैं, दूसरे लोगों से भिन्न। वे संसार में जायेंगे और हर किसी की निंदा करेंगे। यह कह कर कि 'तुम मात्र सांसारिक प्राणी हो। तुम सर्वथा गलत हो। हम उद्धारित व्यक्ति हैं, थोड़े-से चुने हुओं में से।'
ये हैं मन की आकांक्षाएं। ध्यान रहे, किन्हीं आकांक्षाओं के कारण यहां मत रहना। अन्यथा तुम बिलकुल व्यर्थ कर रहे हो तुम्हारा समय; उन्हें परिपूर्ण नहीं किया जा सकता। मैं यहां हूं तुम्हारे सपनों में से तुम्हें बाहर ले आने के लिए। मैं यहां तुम्हारे सपनों की पूर्ति के लिए नहीं हूं। ये लोग रहा सब प्रकार की राजनीतिया ले आते हैं क्योंकि वे अपनी अहंकार-यात्राओं पर निकले हुए है। वे सब प्रकार के संघर्ष ले आयेंगे, वे गुट निर्मित करेंगे। वे एक छोटा संसार बना लेंगे यहां, और एक ऊंच-नीच का तंत्र वे निर्मित करेंगे। यह कहेंगे कि 'मैं ज्यादा ऊंचा हूं तुमसे, ज्यादा पवित्र हूं तुमसे।' वे खेलेंगे सदा ऊंचा दिखने के खेल को।
लेकिन वे छु हैं। पहली बात तो यह कि उन्हें यहां होना ही नहीं चाहिए। उन्होंने अपनी अहंकार यात्राओं के लिए गलत स्थान चुन लिया है क्योंकि मैं यहां हूं उनके अहंकारों को संपूर्णतया मार देने के लिए, उन्हें तोड़ देने के लिए। इसीलिए तुम मेरे आस-पास इतनी ज्यादा अव्यवस्था का अनुभव करते हो।
ध्यान रहे, तुम ठीक स्थान पर हो सकते हो गलत कारणों से। तब तुम चूक जाते हो, क्योंकि सवाल जगह का नहीं है। सवाल है : तुम यहां हो क्यों? यदि तुम अपनी शारीरिक आवश्यकताओं के कारण यहां हो, तो कुछ किया जा सकता है, और जब तुम्हारी शारीरिक आवश्यकताएं पूरी हो जाती हैं, तो तुम्हारी आत्मिक आवश्यकताएं जाग्रत हो जायेगी।
यदि तुम यहां मन की इच्छाओं के कारण हो, तो गिरा देना उन इच्छाओं को। वे आवश्यकताएं नहीं हैं, वे सपने है। उन्हें जितनी संपूर्णता से गिराना संभव हो, गिरा देना। और मत पूछना कि उन्हें कैसे गिराना है क्योंकि उन्हें गिरा देने को कुछ किया नहीं जा सकता है। मात्र इतनी समझ कि वे मन की आकांक्षाएं हैं, काफी है; वे स्वत: गिर जाती है।
सातवां प्रश्न:
क्या योग और तंत्र के बीच कोई संश्लेषण खोजना संभव है? क्या एक मार्ग दूसरे तक ले जाता है?