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___ 'हू' अल्लाह का अंतिम भाग है। यदि तुम लगातार दोहराते हो 'अल्लाह-अल्लाह-अल्लाह', तो धीरे- धीरे यह रूप ले लेता है 'अल्लाहू अल्लाहू-अल्लाहूं का। तब धीरे-धीरे पहला भाग गिर जाने देना होता है। यह बन जाता है 'लाहू-लाहू-लाहू।' फिर 'लाहू भी गिर जाने देना है। यह हो जाता है 'हू-हू-हू।' यह बहुत शक्तिशाली होता है और यह सीधे तुम्हारे काम केंद्र पर चोट करता है। यह तुम्हारे हृदय पर चोट नहीं करता है, यह तुम्हारे काम-केंद्र पर चोट करता है।
तुम्हारे लिए 'हूं सहायक होगा क्योंकि अब तुम्हारा हृदय लगभग निष्क्रिय हो गया है। प्रेम तिरोहित हो चुका है; केवल वासना बच रही है। तुम्हारा काम-केंद्र सक्रिय है, तुम्हारा प्रेम केंद्र नहीं। तो ओम् कोई ज्यादा मदद न करेगा।'हूं ज्यादा गहरी मदद देगा क्योंकि अब तुम्हारी ऊर्जा हृदय के निकट नहीं है। तुम्हारी ऊर्जा निकट है काम केंद्र के, और काम–केंद्र पर सीधी चोट पड़नी चाहिए जिससे कि ऊर्जा ऊपर उठे।
कुछ समय तक 'हू, पर कार्य करने के बाद तुम अनुभव कर सकते हो कि अब तुम्हें उतनी ज्यादा मात्रा की आवश्यकता नहीं है। तब तुम ओम् की ओर मुड़ सकते हो। जब तुम अनुभव करना शुरू कर देते हो कि अब तुम हृदय के निकट रह रहे हो,काम केंद्र के निकट नहीं, केवल तभी तुम प्रयोग कर सकते हो ओम् का, उसके पहले नहीं। लेकिन कोई जरूरत नहीं।'हू सब कुछ संपन्न कर सकता है।
फिर भी यदि तुम ऐसा करना चाहो, तुम इसे बदल सकते हो। यदि तुम अनुभव करते हो कि अब कोई जरूरत न रही और तुम कामवासना अनुभव नहीं करते; कि कामवासना तुम्हारे लिए चिंता का विषय नहीं और तुम उसके बारे में नहीं सोचते;यह कोई मस्तिष्कगत कल्पना नहीं है और इसके द्वारा वशीभूत नहीं हो। एक सुंदर सी गुजर जाती है और तुम मात्र इतना ही देख पाते हो कि 'हां, एक सी गुजर गयी है।' लेकिन तुम्हारे भीतर कुछ उठता नहीं; तुम्हारे काम-केंद्र पर चोट नहीं पड़ती और कोई ऊर्जा तुममें हलचल नहीं करती; तब तुम ओम् का आरंभ कर सकते हो।
__ लेकिन कोई आवश्यकता नहीं। तुम जारी रख सकते हो 'हू को।'हू, एक ज्यादा सशक्त मात्रा है। जब तुम 'हू, पर कार्य करते हो, तब तुम तुरंत अनुभव कर सकते हो कि यह पेट में पहुंचता हैहारा के केंद्र पर और फिर काम केंद्र पर। यह तुरंत बाध्य करता है काम-ऊर्जा को ऊपर की ओर पहुंचने के लिए। यह काम–केंद्र पर चोट करता है।
___ लेकिन तुम मस्तिष्कोमुखी ज्यादा हो। ऐसा हमेशा घटता है : लोग, देश, सभ्यताएं जो सिर की ओर ज्यादा झुके हैं,कामुक होते हैं-हृदयोसुमुखी व्यक्तियों से कहीं ज्यादा कामुक। हृदयोसुखी व्यक्ति प्रेमपूर्ण होते है। कामवासना प्रेम की छाया की भांति आती है; यह स्वयं में महत्वपूर्ण नहीं होती है। हृदयोमुखी लोग अधिक नहीं सोचते। क्योंकि वस्तुत: यदि तुम चौबीस घंटे ध्यान दो, तो तुम देखोगे कि तेईस घंटे तुम कामवासना के विषय में ही सोच रहे हो।