________________
गया था। और वह मित्र था, लेकिन वे दोनों अलग-अलग अपना कार्य कर रहे थे। वे बिलकुल नहीं जानते थे कि दोनों एक ही चीज पर कार्य कर रहे थे। और फिर वह भयभीत हो गया। अब क्या करूं? मित्र आविष्कारक बन जायेगा, और बीस वर्षों से वह जान चुका था सिद्धांत। वह तो तेजी से जुट गया। किसी प्रकार उसने विवरण लिखने की व्यवस्था की, और उसने इसे वैज्ञानिक संघ के सामने प्रस्तुत कर दिया।
तीन महीने पश्रात हर कोई जान गया कि रसेल ने भी इसे खोज लिया था। रसेल वस्तुत: बहत अदभुत व्यक्ति था। उसने घोषणा कर दी कि आविष्कार का श्रेय डार्विन को मिलना चाहिए क्योंकि बीस वर्षों से वह कार्य कर चुका था इस पर, चाहे उसने इसे प्रस्तुत किया या नहीं। आविष्कारक तो वही था।
और ऐसा बहुत बार घटा है। अकस्मात कोई विचार बहुत प्रभावशाली हो जाता है, जैसे कि वह विचार कहीं कोई गर्भधारण करने की कोशिश कर रहा हो। और जैसा कि प्रकृति का स्वभाव है, वह कभी जोखम नहीं उठाती। हो सकता है कि एक आदमी चूक जाये, तब बहुत आदमियों को करनी होती है कोशिश। प्रकृति कभी खतरा नहीं लेती। एक वृक्ष लाखों बीज गिरायेगा। एक बीज चूक सकता है; शायद वह सही भूमि पर न गिरे, शायद वह नष्ट हो जाये। लेकिन लाखों बीज हों तो कोई संभावना नहीं होती कि सारे के सारे बीज नष्ट ही हो जायेंगे।
जब स्री-पुरुष संभोग करते हैं, तो एक वीर्य-स्खलन में पुरुष द्वारा लाखों बीज फेंके जाते हैं। उनमें से एक पहुंचेगा सी के डिम्बाणु तक, पर फिर भी थे तो लाखों। एक स्खलन में एक आदमी
। उतने ही बीज छोड देता है जितने कि अभी पथ्वी पर आदमी है। एक आदमी एक स्खलन में संपूर्ण पृथ्वी को जन्म दे सकता है, पृथ्वी की सारी जनसंख्या को जन्म दे सकता है। प्रकृति कोई जोखम नहीं उठाती है। यह बहुत तरीके आजमाती है। एक चूक सकता है, दो चूक सकते हैं, लाख चूक सकते हैं,लेकिन लाखों में कम से कम एक तो पहुंचेगा और जीवंत होगा।
जै ने एक सिदधांत खोजा जिसे उसने कहा, 'सिंक्रानिसिटी' -समकालिकता। यह विरल चीज है। हम एक सिद्धांत जानते हैं कारण और कार्य का-कारण उअन्न करता है कार्य को। समकालिकता कहती है जब कभी कोई चीज घटती है, तो इसके समानांतर बहुत-सी उसी प्रकार की चीजें घटती हैं। हम जानते नहीं क्यों ऐसा घटता है, क्योंकि यह कोई कारण और कार्य की घटना तो है नहीं। वे परस्पर संबंधित नहीं है कारण और कार्य दवारा।
कैसे तुम बुद्ध और हेराक्लतु का संबंध बैठा सकते हो? लेकिन सिद्धांत वही है। बुद्ध ने हेराक्लतु के विषय में कभी सुना नहीं; हम कल्पना तक नहीं कर सकते कि हेराक्लतु कभी बुद्ध को जानते भी थे। वे अलग-अलग संसारों में जीते थे। कोई संपर्क-संबंध न था। लेकिन दोनों ने संसार को एक ही सिदधांत दिया। जो था गति का सिदधांत, नदी-समान अस्तित्व का,क्षप स्तत्व का। वे