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चोर है। जब तुम गहरी निद्रा में होते हो और तुम नहीं जानते कि क्या घट रहा है, वह प्रवेश करता है तुममें, और चौथा दवार खोल देता है।
एक बार चौथा दवार खुल जाता है, तो कोई समस्या नहीं रहती। हर कोशिश और हर मुसीबत जो तुम बना सकते हो, तुम उसे निर्मित कर सकते हो केवल चौथे के खुलने से पहले ही। वह चौथा द्वार ना-वापसी है। एक बार चौथा खुल जाता है, तो गुरु चौबीसों घंटे तुम्हारे साथ रह सकता है। तब कोई मुश्किल नहीं है।
प्रश्न चौथा:
कोई इच्छाओ को दबाये बिना उन्हे कैसे काट सकता है?
इच्छाएं सपने हैं, वे वास्तविकताएं नहीं हैं। तुम उन्हें परिपूर्ण नहीं कर सकते और तुम
उन्हें दबा नहीं सकते, क्योंकि तुम्हारे किसी निश्रित चीज को परिपूर्ण करने के लिए उसके वास्तविक होने की जरूरत होती है। तुम्हारे किसी निशित चीज को दबाने के लिए भी उसके वास्तविक होने की आवश्यकता होती है। आवश्यकताएं परिपूर्ण की जा सकती हैं और आवश्यकताएं दबायी जा सकती हैं। इच्छाएं न तो परिपूर्ण की जा सकती हैं और न ही ये दबायी जा सकती हैं। इसे समझने की कोशिश करना क्योंकि यह बात बहुत जटिल होती है।
इच्छा एक सपना है। यदि तुम इसे समझ लो, तो यह तिरोहित हो जाती है। इसका दमन करने की कोई जरूरत नहीं होगी। इच्छा का दमन करने की क्या जरूरत है? तुम बहुत प्रसिद्ध होना चाहते हो-यह एक सपना है, इच्छा है, क्योंकि शरीर को परवाह नहीं रहती प्रसिद्ध होने की। वस्तुत: शरीर बहुत ज्यादा दुख उठाता है जब तुम प्रसिद्ध हो जाते हो। तुम्हें पता नहीं शरीर किस तरह दुख पाता है जब तुम प्रसिद्ध हो जाते हो। तब कहीं कोई शांति नहीं। तब निरंतर दूसरों द्वारा तुम परेशान किये जाते हो, पीड़ित किये जाते हो क्योंकि इतने प्रसिद्ध हो तुम।
वोलेयर ने कहीं लिखा है, जब मैं प्रसिद्ध नहीं था, तो मैं हर रात ईश्वर से प्रार्थना किया करता था कि 'मुझे प्रसिद्ध बना दो। मैं ना-कुछ हूं अत: मुझे 'कुछ' बना दो। और फिर मैं प्रसिद्ध हो गया। फिर मैंने प्रार्थना करनी शुरू कर दी, बस, बहुत हो गया। अब मुझे फिर से ना-कुछ बना दो क्योंकि इससे पहले, जब मैं पेरिस की सड़कों पर जाया करता था, कोई मेरी ओर नहीं देखता और मुझे इतना बुरा लगता था। कोई मेरी ओर जरा भी ध्यान नहीं देता था, जैसे कि मैं f