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परम यथार्थ तक पहुंच जाते है ईश्वर में विश्वास किये बगैर। वे भिन्न मार्ग चुनते हैं, जहां ईश्वर की आवश्यकता नहीं है।
यह ऐसे हैं जैसे तुम मेरे घर आये हो और एक निश्चित गली से गुजरे हो। लेकिन वह गली साध्य नहीं थी, वह साधन मात्र थी। तुम उसी घर में किसी दूसरे रास्ते से भी पहुंच सकते थे और कई लोग दूसरे रास्तों से भी पहुंचे हैं। तुम्हारे रास्ते पर हो सकता है हरे वृक्ष हो, विशाल वृक्ष हों और दूसरे रास्तों पर न हों। अतः ईश्वर केवल एक मार्ग है, फर्क को जरा ध्यान में रखना। ईश्वर लक्ष्य नहीं है, ईश्वर बहुत से मार्गों में से मात्र एक मार्ग है।
पतंजलि कभी इनकार नहीं करते, वे कभी अनुमान नहीं लगाते। वे पूर्णतया वैज्ञानिक हैं। ईसाई लोगों के लिए कठिन है यह समझना कि बुद्ध कैसे परम सत्य को उपलब्ध हो सके। क्योंकि उन्होंने कभी ईश्वर में विश्वास नहीं किया। और हिंदुओं के लिए यह विश्वास करना कठिन है कि महावीर मोक्ष उपलब्ध कर सके क्योंकि महावीर ने ईश्वर में कभी विश्वास नहीं किया।
पूर्वी धर्मों के प्रति सचेत होने से पहले, पश्चिमी विचारकों ने धर्म को हमेशा ईश्वर - केंद्रित स्वप्न में परिभाषित किया। जब वे पूर्वी विचारधारा के संपर्क में आये तो उन्हें शात हुआ कि सत्य तक पहुंचने के लिए एक परंपरागत मार्ग भी रहा है, जो कि ईश्वरविहीन मार्ग है। वे तो घबड़ा गये। उनके लिए यह असंभव था।
एच. जी. वेल्स ने बुद्ध के विषय में लिखा है कि बुद्ध सबसे अधिक ईश्वरविहीन व्यक्ति हैं और फिर भी वे सबसे अधिक ईश्वरीय हैं। उन्होंने कभी विश्वास नहीं किया और वे कभी किसी से कहेंगे भी नहीं किसी ईश्वर में विश्वास करने के लिए, फिर भी वे स्वयं सबसे उत्कृष्ट घटना है दिव्य सत्ता के घटित होने की और महावीर भी उस मार्ग की यात्रा करते है जहां ईश्वर की आवश्यकता नहीं
है।
पतंजलि पूर्णतया वैज्ञानिक हैं। पतंजलि कहते हैं, हम साधनों से नहीं बंधे हु हैं, साधन हजारों हैं। सत्य ही लक्ष्य है उसे कइयों ने ईश्वर के द्वारा उपलब्ध किया, तो वही ठीक। तो ईश्वर में विश्वास करो और लक्ष्य प्राप्त करो, क्योंकि जब लक्ष्य उपलब्ध हो जाता है, तुम अपने विश्वास को फेंक दोगे। इसलिए विश्वास तो बस उपकरण है। यदि तुम विश्वास नहीं करते, वह भी ठीक है। मत करो विश्वास। अविश्वास के मार्ग की यात्रा करो और लक्ष्य तक पहुंचो ।
पतंजलि न तो आस्तिक हैं और न ही नास्तिक वे किसी धर्म का निर्माण नहीं कर रहे हैं। वे तो बस, तुम्हें सारे मार्ग दिखा रहे हैं जो कि संभव हैं। और दिखा रहे हैं सारे नियम, जो तुम्हारे रूपांतरण के लिए कार्य करते है। ईश्वर उन्हीं मार्गों में से एक है लेकिन वह जरूरी नहीं है। यदि तुम ईश्वररहित हो तो अधार्मिक होना जरूरी नहीं है। पतंजलि कहते हैं कि तुम भी पहुंच सकते हो।