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वही एकमात्र पड़ोसी है, अगर हर तरफ से वह तुम्हें घेरे हुए है और तुमने उसे पाया नहीं, तो तुम्हारा अहंकार बहुत ज्यादा पराजित अनुभव करेगा। तुम्हारे जैसा इतना महान व्यक्ति, और वह इतना निकट है और तुम उसे चूक रहे हो? यह बात बहुत पराजित करने वाली मालूम पड़ती है। लेकिन अगर वह बहुत दूर है, तब तो सब ठीक है क्योंकि तब समय की जरूरत रहती है, प्रयास की जरूरत होती है, फिर तुम्हारी कोई गलती नहीं है; वही इतनी दूर है।
दूरी इतनी विराट चीज है। तुम समय लोगो, तुम चलते जाओगे, तुम बढ़ोगे और एक दिन तुम पा लोगे। यदि वह निकट है, तो तुम अपराधी अनुभव करोगे। तब तुम उसे क्यों नहीं पा रहे? हेराक्लतु और बाशो और बुद्ध को पढ़ते हुए, कोई अशुविधा अनुभव करता है। ऐसा पतंजलि के साथ कभी नहीं होता। उनके साथ व्यक्ति निशित अनुभव करता है।
जरा मन के विरोधाभास को देखो। सबसे आसान बात के साथ व्यक्ति बेचैनी अनुभव करता है। अशुइवधा तुम्हारे कारण ही आती है। हेराक्लतु या जीसस के साथ चलना बहुत अशुविधाजनक है क्योंकि वे जोर दिये जाते है कि प्रभु का राज्य तुम्हारे भीतर ही है। और तुम जानते हो कि सिवाय नरक के तुम्हारे भीतर कुछ विद्यामन नहीं है। लेकिन वे जोर देते है कि प्रभु का राज्य तुम्हारे भीतर है, इसलिए यह बात कष्टकर हो जाती है।
यदि प्रभु का राज्य तुम्हारे भीतर है तो तुम्हारे साथ ही कुछ गड़बड़ है। क्यों तुम इसे देख नहीं सकते? और अगर यह इतना अधिक मौजूद है, तो यह बिलकुल इसी क्षण क्यों न सकता? यही है झेन का संदेश-कि यह तात्कालिक है। प्रतीक्षा करने की कोई जरूरत नहीं। कोई जरूरत नहीं समय गंवाने की। यह बिलकुल अभी घट सकता है, इस क्षण ही। वहां कोई बहाना नहीं। यह बात तुम्हें लज्जित बना देती है। तुम बेचैनी अनुभव करते हो, क्योंकि तुम कोई बहाना नहीं ढूंढ सकते। पतंजलि के साथ तो तुम लाखों बहाने खोज सकते हो, कि वह बहुत दूर है। लाखों जन्मों तक प्रयास करने की जरूरत है। ही, इसे पाया जा सकता है, पर हमेशा भविष्य में ही। तब तुम निश्चित होते हो इसके बारे में कोई बहत तात्कालिकता नहीं होती है, और जैसे तुम अभी हो, वैसे ही रह सकते हो। कल सुबह तुम मार्ग पर बढ़ना शुरू करोगे! .और कल कभी आता नहीं।
पतंजलि तुम्हें समय देते हैं, भविष्य देते हैं। वे कहते है, 'यह करो और वह करो, और ऐसा करो। और धीरे-धीरे तुम पहुंचोगे किसी दिन। कब? यह कोई जानता नहीं। पहुंचेंगे भविष्य की किसी जिंदगी में।' तब तुम सुख-चैन में होते हो; कोई बड़ी जरूरत नहीं। तुम वैसे रह सकते हो जैसे तुम हो; कोई जल्दी नहीं है।
ये झेन के लोग, ये तुम्हें पागल बना देते हैं। और मै तुम्हें ज्यादा पागल बना देता हूं क्योंकि मै दोनों ओर से बोलता हूं। यह मात्र एक ढंग है। यह एक कोआन है, पहेली है। यह सिर्फ एक तरीका है तुम्हें मतवाला बना देने का। मैं हेराक्लतु का उपयोग करता हूं मैं पतंजलि का उपयोग करता हूं