________________ में, शहरों में, कोई इस तरह काम नहीं करता जिस तरह कि तुम कर रहे हो? यह बहुत पुराना ढंग है। वितान ने तेजी से उन्नति की है।' वृदध व्यक्ति बोला, 'ठहरो, और इतने जोर से मत बोलो। जब मेरा बेटा चला जाये, तो मैं जवाब दूंगा।' जब बेटा कुछ काम करने चला गया तो वह बोला, अब तुम एक खतरनाक आदमी हो। अगर मेरा बेटा इसके बारे में कभी सुन ले, तो तुरंत वह कह देगा, 'ठीक है। तो मैं इसे खींचना नहीं चाहता। मैं बैलों का यह काम नहीं कर सकता। बैलों की जरूरत है।' कन्फ्यूशियस का शिष्य कहने लगा, 'उसमें गलत क्या है? 'बूढ़ा आदमी बोला, 'हर चीज गलत है इसमें, क्योंकि यह चालाकी है। यह बैल को धोखा देना हुआ, यह घोड़े को धोखा देना हुआ। और एक बात ले जाती है दूसरी बात तक। अगर यह लड़का जो जवान है और विवेकपूर्ण नहीं है, एक बात जान लेता है कि जानवरों के साथ चालाक हुआ जा सकता है, तो वह संदेह करेगा कि क्यों कोई मनुष्य के साथ चालाक नहीं हो सकता? एक बार वह जान लेता है कि चालाकी दवारा कोई शोषण कर सकता है, तो मैं नहीं जानता वह कहां रुकेगा। इसलिए कृपया आप यहां से जाइए, और इस सड़क पर कभी मत लौटना। और ऐसी चालाकी की बातें इस गांव में न लाना। हम प्रसन्न हैं।' लाओत्स् विज्ञान के विरुद्ध है। वह कहता है, विज्ञान चालाकी है। यह प्रकृति को धोखा दे रहा है, सृष्टि से अनुचित लाभ उठा रहा है। चालाक तरीकों द्वारा प्रकृति को तोड़ रहा है। और आदमी जितना ज्यादा वैज्ञानिक बनता है, उतना ज्यादा वह चालाक होता है, स्वभावतः। एक निर्दोष व्यक्ति वैज्ञानिक नहीं हो सकता; यह कठिन है। लेकिन आदमी चतुर और चालाक हो गया है। और पतंजलि अच्छी तरह जानते हैं कि वैज्ञानिक होना चालाकी है। इसलिए वे यह भी जानते हैं कि मनुष्य नयी चाल दवारा ही, एक नयी चालाकी दवारा अपने स्वभाव तक वापस लाया जा सकता है। योग अंतस आत्मा का विज्ञान है क्योंकि तुम निर्दोष नहीं हो, तुम्हें चालाक तरीके द्वारा स्वभाव तक वापस लाना होता है। अगर तुम निर्दोष होते हो, तो साधनों की जरूरत नहीं है, किन्हीं विधियों की जरूरत नहीं है। केवल सीधी-सादी समझ, बाल सलभ समझ और तम रूपांत जाओगे। लेकिन तुम्हारे पास यह है नहीं। इसीलिए तुम अनुभव करते हो कि पतंजलि बहुत महान जान पड़ते हैं। ऐसा होता है तुम्हारे सिर में जी रहे मन के कारण और तुम्हारी चालाकी के कारण। / दूसरी चीज याद रखने की है-वे कठिन प्रतीत होते हैं। और तुम सोचते हो हेराक्लतु सरल हैं? चंइक पतंजलि कठिन प्रतीत होते हैं, यह बात भी अहंकार के लिए एक आकर्षण बन जाती है। अहंकार हमेशा वह कुछ करना चाहता है जो कठिन हो, क्योंकि कठिन के मुकाबले तुम अनुभव करते हो, तुम कुछ हो। अगर कुछ बहुत सरल होता है तो इसके द्वारा अहंकार पोषित कैसे हो सकता है 2: मेरे पास लोग आते हैं और वे कहते, 'कई बार आप समझाते हैं कि मात्र बैठ जाने और कुछ न करने द्वारा बात घट सकती है। यह इतनी सहज कैसे हो सकती है?' च्चांगत्सु कहता है, 'सरल