________________ हो। कई बार कोई विचार अड़ा रहता है। तुम नहीं जानते कि तुम क्यों इसके बारे में सोचते चले जाते हो। यह बेतुका दिखाई पड़ता है; यह किसी काम का नहीं जान पड़ता। लेकिन तुम कुछ नहीं कर सकते। यह द्वार खटखटाये चला जाता है। यह कहता है, 'मुझे सोचो।' एक विचार द्वार पर प्रतीक्षा कर रहा है खटखटाता हुआ। यह कहता है, 'स्थान दो, मैं भीतर आना चाहूंगा।' प्रत्येक विचार का अपना स्वयं का जीवन है। यह चलता रहता है। और इसके पास ज्यादा शक्ति है। और तुम बहत कमजोर हो क्योंकि तुम बहुत बेखबर हो; अत: तुम विचारों द्वारा चलाये जाते हो! तुम्हारा सारा जीवन ऐसी दुर्घटनाओं से बना है। तुम लोगों से मिलते हो, और तुम्हारी जिंदगी का सारा ढांचा-ढर्रा बदल जाता है। __ कुछ तुममें प्रवेश करता है। फिर तुम वशीभूत हो जाते हो, और तुम भूल जाते हो कि तुम कहां जा रहे थे। तुम अपनी दिशा बदल देते हो; तुम इस विचार के पीछे हो लेते हो। यह एक दुर्घटना ही है। तुम बच्चों की भांति हो। पतंजलि कहते हैं कि यह विचारणा नहीं है। यह विचारणा की अनुपस्थिति वाली अवस्था है-यह विचारणा नहीं है। तुम भीड़ हो। तुम्हारे पास, तुम्हारे भीतर कोई केंद्र नहीं है, जो सोच सके। जब कोई वितर्क के अनुशासन में बढ़ता है-सम्यक तर्क में, तब वह धीरेधीरे सोचने के योग्य बनता है। सोचना एक क्षमता है, विचार क्षमता नहीं है, विचार दसरों र जा सकते हैं; विचारणा कभी नहीं। विचारणा तुम्हें स्वयं ही सीखनी होती है। और यही है भेद पुराने भारतीय विद्यापीठों और आधुनिक विश्वविद्यालयों के बीच। आधुनिक विश्वविद्यालयों में तुम विचारों को जुटा रहे हो। प्राचीन विद्यालयों में, शान-विद्यालयों में, वे सोचना-विचारना सिखाते रहे थे, न कि विचार। विचारशीलता तुम्हारे आंतरिक अस्तित्व की गुणवत्ता है। विचारशीलता का अर्थ क्या है? इसका है तम्हारी चेतना को बनाये रखना; समस्या से साक्षात्कार करने को, सजग और जागरूक बने रहना। समस्या वहां मौजूद है, तुम अपनी समग्र जागरूकता के साथ उसका सामना करो। और तब एक उत्तर उठ खड़ा होता है-एक प्रत्युत्तर। यह है विचारणा। एक प्रश्न सामने रखा जाता है और तुम्हारे पास एक बना-बनाया उत्तर होता है। इससे पहले कि तुम इसके बारे में सोचो भी, उत्तर आ पहुंचता है। कोई कहता है, 'क्या ईश्वर है?' उसने अभी यह कहा भी न हो और तुम कह देते हो, 'हां।' तुम अपना निर्जीव सिर 'हां' में हिला देते हो। तुम कह देते हो, 'हां ईश्वर है।' क्या यह तुम्हारा विचार है? क्या तुमने बिलकुल अभी समस्या के बारे में सोचा है, या तुम अपनी स्मृति में कोई बना-बनाया उत्तर ढो रहे हो? किसी ने तुम्हें इसे दे दिया है तुम्हारे माता-पिता ने, तुम्हारे शिक्षकों ने, तुम्हारे समाज ने। किसी ने इसे तुम्हें दे दिया है, और तुम इसे कीमती खजाने की तरह लिये चलते हो, और यह उत्तर उसी स्मृति से आता है। विचारशील व्यक्ति, हर बार जब