________________ बहुत सारी पद्धतियां संसार में काम कर रही है, पर कोई प्रणाली इतनी संपूर्ण नहीं जितनी पतंजलि की है क्योंकि किसी देश ने इतने लंबे समय के लिए प्रयोग नहीं किया है। और पतंजलि इस प्रणाली के आविष्कारक नहीं हैं। वे तो केवल सुव्यवस्था देने वाले हैं। योगमार्ग ने विकास पाया था, पतंजलि से हजारों वर्ष पहले। बहुत लोगों ने काम किया था। पतंजलि ने तो बस हजारों वर्षों के कार्य का सार दे दिया। किंतु उन्होंने इसे ऐसे ढंग से बनाया है कि तुम खतरे के आगे बढ़ सकते हो। तुम भीतर गति कर रहे हो, तो यह मत सोच लेना कि तुम सुरक्षित संसार की ओर सरक रहे हो। यह संकटपूर्ण हो सकता है। यह खतरनाक भी है और तुम इसमें भटक सकते हो। और अगर तुम इसमें भटक जाते हो, तो तुम पागल हो जाओगे। इसीलिए कृष्णमूर्ति जैसे शिक्षक जो जोर देते हैं कि गुरु की जरूरत नहीं है वे खतरनाक हैं। क्योंकि लोग जो अदीक्षित हैं, शायद उन्हीं का दृष्टिकोण अपना लें और अपने से ही काम करना शुरू कर दें। खयाल रखना, अगर तुम्हारी कलाई घड़ी बिगड़ भी जाती है, तो तुम्हारी ऐसी प्रवृत्ति और कौतूहल है क्योंकि यह वृत्ति बंदरों से चली आयी है-कि तुम उसे खोलते हो और कुछ करते हो। कठिन होता है इसे रोकना। तुम विश्वास नहीं कर सकते कि तुम इसके बारे में कुछ नहीं जानते। तुम मालिक हो सकते हो किंतु घड़ी का मालिक होना भर ही यह अर्थ नहीं रखता कि तुम कुछ जानते हो। इसे खोलना मत! यह ज्यादा अच्छा हो कि उसे सही व्यक्ति के पास ले जाओ जो इन चीजों के बारे में जानता हो। और बड़ी तो एक सीधी यंत्ररचना है जबकि मन इतनी बड़ी जटिल यंत्ररचना है। तो इसे अपने से कभी खोलना मत, क्योंकि जो कुछ तुम करते हो, गलत होगा। __ कभी-कभी यह होता है कि तुम्हारी घड़ी खराब हो जाती है, तो तुम बस इसे हिला देते हो और यह चलने लगती है किंतु यह कोई वैज्ञानिक कौशल नहीं है। कई बार यह होता है कि तुम कुछ करते हो, और केवल भाग्यवश, संयोगवश तुम्हें प्रतीत होता है कि कुछ घट रहा है। पर तुम सिद्ध नहीं बन गये हो। और अगर यह एक बार घट गया है तो इसे फिर मत आजमाना,क्योंकि अगली बार तम घड़ी को झटका दो, तो शायद यह हमेशा के लिए बंद हो जाये। यह घडी को झटके देना कोई विज्ञान नहीं है। संयोगों (ऐक्सडेंट्स) द्वारा मत आगे बढ़ो। अनुशासन बचाव का एक उपाय ही है; संयोगों द्वारा नहीं बढ़ो। गुरु के साथ आगे बढ़ो, जो जानता है कि वह क्या कर रहा है। जो जानता है अगर कुछ गलत हो जाता है, और जो तुम्हें सम्यक मार्ग पर ला सकता है। गुरु, जो तुम्हारे अतीत के प्रति सजग होता है और जो तुम्हारे भविष्य के लिए भी जागरूक होता है; जो तुम्हारे अतीत और भविष्य को एक दूसरे से जोड़ सकता है।