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वह सम्राट सारी रात सो नहीं सका। बहुत बार उसने वहां जाने का विचार ही रह कर दिया। वह स्वयं से कहता, 'यह आदमी पागल जान पड़ता है। यह कहने से उसका आखिर मतलब क्या है कि भूलना नहीं, मन को साथ लेकर आना!'
लेकिन वह व्यक्ति इतना मोहक, इतना चमत्कारिक था कि सम्राट उस नियोजित भेंट को रह न कर सका। जैसे कि कोई चुम्बक उसे अपनी तरफ खींच रहा था। चार बजे वह बिस्तर से उठ बैठा और कहने लगा, 'चाहे जो हो, मुझे जाना ही है। इस व्यक्ति के पास कुछ होगा। उसकी आंखें कहती हैं कि उसके पास कुछ है थोड़ा-सा पगला जरूर लगता है पर फिर भी मुझे जाना चाहिए और देखना है कि क्या हो सकता है।'
इस प्रकार वह वहां पहुंचा। बोधिधर्म अपने मोटे सटे (डंडे) को लिये बैठे हुए थे। उन्होंने कहा, 'आ गये तुम? कहां है तुम्हारा मन? उसे अपने साथ लाये हो या नहीं?"
सम्राट ने कहा,' आप क्या फिजूल बात कहते हैं अब मैं यहां हूं तो मेरा मन भी यहीं है और वह कोई ऐसी चीज है भी नहीं जिसे कहीं भूल से रख आ सकता हूं। वह मुझमें ही है।"
बोधिधर्म ने कहा,' अच्छा, तो ठीक! सो पहली बात का तो निर्णय हुआ, कि मन तुममें ही है।' सम्राट ने कहा, 'हां, ठीक, मन मुझमें ही है।' बोधिधर्म ने कहा, 'तो अब आंखें बंद कर लो और खोजो जरा कि मन कहां है। और तुम उसे ढूंढ लो कि वह कहां है तो फिर उसी क्षण मुझे बता देना। मैं उसकी अवस्था शांत बना दूंगा।'
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सम्राट ने आंखें बंद कर लीं और कोशिश करता ही गया देखने की और देखने की जितना ही भीतर झांकता गया उतना ही होश आता गया कि वहां कोई मन नहीं; मन एक क्रिया मात्र है। वह कोई चीज नहीं कि जिसे ठीक-ठीक इंगित किया जा सके। लेकिन जिस क्षण उसने जाना कि मन कोई वस्तु नहीं, उसी क्षण उसे अपनी खोज का बेतुकापन भी खुलकर प्रकट हो गया। यदि मन कुछ है ही नहीं तो फिर इसके बारे में कुछ किया ही नहीं जा सकता। यदि यह क्रिया है तो फिर उस क्रिया को क्रियान्वित मत करो, बस, हो गयी बात। यदि यह गति की भांति चाल की भांति है तो मत चलो।
बेचैनी कहां है।'
उसने अपनी आंखें खोलीं। वह बोधिधर्म के सामने झुक गया और बोला, 'ढूंढ निकालने को मन जैसा कुछ है ही नहीं। बोधिधर्म ने कहा, 'मैंने तब उसे शांत बना दिया है और जब भी तुम महसूस करो कि तुम अशांत हो, बस जरा भीतर झांक लेना और देख लेना कि वह यह अवलोकन ही मनविरोधी है, एंटीमाइंड है क्योंकि यह देखना सोचना नहीं है यदि तुम पूरी उत्कटता से झांको तो तुम्हारी सारी ऊर्जा एक दृष्टि बन जाती है, और वही ऊर्जा गति और सोचविचार भी बन सकती है।