________________ है, इसलिए वे जानते हैं। लेकिन वे उनके पार चले गये है, अत: अब वे जानते हैं, क्या कारण है। और वे यह भी जानते है कि उन्हें किस प्रकार रूपांतरित किया जा सकता है। वे हर तरह से मदद करेंगे तुम्हें समझा देने में कि तुम्ही हो तुम्हारे दुखों का कारण। यह बहुत दुष्कर है। यह समझना सर्वाधिक कठिन होता है कि 'मैं ही मेरे दुखों का कारण हूं। 'यह गहरे चोट करता है। व्यक्ति चोट अनुभव करता है। जब भी कोई कहता है कि कोई दूसरा व्यक्ति है कारण, तब तुम ठीक अनुभव करते हो। जो व्यक्ति ऐसा कहता है, तुम्हें सहानुभूतिपूर्ण जान पड़ता है। अगर वह कहता है, 'तुम कष्ट उठाने वाले हो, एक शिकार और दूसरे तुम्हारा शोषण कर रहे है, दूसरे नुकसान कर रहे है, दूसरे हिंसात्मक हैं', तब तुम अच्छा अनुभव करते हो। लेकिन यह अच्छाई टिकने वाली नहीं है। यह एक क्षणिक सांत्वना है,और खतरनाक; बहुत बड़ी कीमत पर मिलने वाली। क्योंकि वह जो सहानुभूति दे रहा है तुम्हारे दुख के कारण को बढ़ावा दे रहा होता है। तो वे जो तुम्हारे प्रति सहानुभूतिपूर्ण जान पड़ते हैं वस्तुत: तुम्हारे शत्रु होते हैं क्योंकि उनकी सहानुभूति तुम्हारे दुख के कारण के मजबूत होने में मदद करती है। दुख का स्रोत ही मजबूत हो जाता है। तुम अनुभव करते हो कि तुम ठीक हो और सारा संसार गलत है, कि तुम्हारा दुख किसी दूसरी जगह से आता है। अगर तुम बुद्ध के पास जाते, किसी बुद्ध-पुरुष के पास, तो वे कठिन होंगे ही। क्योंकि वे तुम्हें बाध्य करेंगे इस तथ्य का सामना करने के लिए कि कारण तुम्ही हो। और एक बार तुम्हें लगने लगता है कि तुम्हारे नरक का कारण तुम हो, तो रूपांतरण आरंभ हो ही चुका होता है। जिस क्षण तुम इसे अनुभव करते हो, आधा काम तो हो ही चुका है। तुम मार्ग पर आ ही पहुंचे हो। तुम आगे बढ़ गये हो। एक बड़ा परिवर्तन तुम पर उतर चुका है। आधे दुख तो अचानक ही तिरोहित हो जायेंगे, यदि एक बार तुम समझ जाओ कि तुम्ही हो कारण। क्योंकि तब तुम उनके साथ सहयोग नहीं कर सकते। तब तुम इतने अज्ञानी न रहोगे कि उस कारण को मजबूत करने में मदद करो जो दुखों को निर्मित करता है। तुम्हारा सहयोग टूट जायेगा। पर दुख फिर भी कुछ समय के लिए बने रहेंगे-केवल पुरानी आदतों के कारण। एक बार मुल्ला नसरुद्दीन कचहरी पहुंचने को मजबूर हो गया क्योंकि वह फिर शराब पिये हुए सड़क पर पाया गया था। मैजिस्ट्रेट ने कहा, 'नसरुद्दीन, मुझे याद है कि तुम्हें इसी अपराध के लिए बहुत बार जांचता रहा हूं। क्या तुम्हारे पास कोई स्पष्टीकरण है तुम्हारे पके शराबीपन के लिए? नसरुद्दीन बोला, 'बेशक, युअर ऑनर! मेरे पास मेरे पके शराबीपन के लिए एक सफाई है देने को। यह है मेरी' सफाई-पकी प्यास। ' अगर तुम सजग हो भी जाओ, तो भी अभ्यस्त ढांचा कुछ देर को तुम्हें उसी दिशा में सरकने को बाध्य कर देगा। लेकिन यह बहुत देर तक नहीं बना रह सकता। ऊर्जा अब वहां नहीं रही। कुछ देर को वह मृत ढांचे की भांति बना रह सकता है, लेकिन धीरे-धीरे यह सूख जायेगा। इसे हर दिन