________________ पर मैं दोहराऊंगा-संघर्ष निर्मित मत करना। अधिक से अधिक सहज होने के लिए जो घट रहा है उस सबको होने देना। नकारात्मक से लड़ना मत। उल्टे विधायक को निर्मित करना। कामवासना के साथ, भोजन के साथ, किसी चीज के साथ लड़ना मत। बल्कि, पता लगाना कि क्या है जो तुम्हें प्रसन्नता देता है, वह कहां से आता है। और उसी दिशा की ओर बढ़ना। इच्छाएं धीरेधीरे तिरोहित होती जाती हैं। और दूसरी बात- अधिक और अधिक सचेतन होना। जो कुछ घटित हो रहा हो, अधिक से अधिक सजग रहना। और उसी क्षण में बने रहना, उस क्षण को स्वीकार कर लेना। किसी दूसरी चीज की मांग मत करना। फिर तुम दुख को निर्मित नहीं कर रहे होओगे। अगर पीड़ा है, रहने दो उसे वहीं। उसमें बने रहो और उसमें बहो। एकमात्र शर्त यही है कि जागरूक बने रहना। बोधपूर्ण ढंग से, जाग्रत ढंग से, उसमें बढ़ना, उसमें बहना। प्रतिरोध मत करना। जब पीड़ा तिरोहित हो जाती है, सुख की इच्छा भी विलीन हो जाती है। जब तुम संताप में नहीं होते हो, तब तम भोगासक्ति की मांग नहीं करते हो। जब अधिक व्यथा नहीं होती है, तब भोगासक्ति अर्थहीन हो जाती है। तम ज्यादा और ज्यादा आंतरिक खाई में उतरते चले जाते हो। और यह इतना ज्यादा आनंदपूर्ण होता है, यह इतना गहरा उल्लास होता है, कि इसकी एक झलक से भी सारा संसार अर्थहीन हो जाता है। तब वह सब, जो यह संसार तुम्हें दे सकता है, किसी काम का नहीं रहता है। लेकिन इसे संघर्षकारी अभिवृत्ति नहीं बनना चाहिए। तुम्हें एक योद्धा नहीं बनना चाहिए तुम्हें ध्यानी बनना चाहिए। यदि तम ध्यान करते रहते हो, चीजें सहज रूप से तमको घटेंगी, जो तम्हें रूपांतरित करती जायेंगी और बदलती जायेंगी। लड़ना शुरू करते हो, तो तुमने दमन का आरंभ कर दिया है। और दमन तुम्हें ज्यादा और ज्यादा दुख में ले जायेगा। और तुम धोखा नहीं दे सकते। बहुत लोग हैं जो केवल दूसरों को ही धोखा नहीं दे रहे हैं; वे अपने को धोखा दिये चले जाते हैं। वे सोचते हैं कि वे दुख में नहीं है। वे कहे जाते हैं कि वे दुख में नहीं है। लेकिन उनका सारा अस्तित्व दुखी है। जब वे कह रहे है कि वे दुख में नहीं हैं,तो उनके चेहरे, उनकी आंखें, उनके हृदय, हर चीज दुख में होती है। __ मैं तुमसे एक कथा कहूंगा, और फिर मैं समाप्त करूंगा। मैंने सुना है कि एक बार ऐसा हुआ कि बारह स्त्रियां परलोक के पाप मोचन स्थान पर पहुंची। वहां के पदधारी फरिश्ते ने उनसे पूछा, 'जब तुम पृथ्वी पर थीं तो क्या तुममें से कोई अपने पति के प्रति विश्वासघाती थीं? अगर किसी ने अपने पति के साथ विश्वासघात किया था, तो उसे अपना हाथ उठा देना चाहिए।'लजाते हए, हिचकिचाते हए धीरे-धीरे ग्यारह स्त्रियों ने अपने हाथ ऊंचे कर दिये। पदधारी फरिश्ते ने अपना