________________ लेकिन यह अर्थ नहीं है पतंजलि का। यह इच्छाविहीन अवस्था नहीं है। यह एकदम दुर्बल अवस्था है। ऊर्जा वहां है नहीं। तुमने शायद तीस या चालीस वर्ष के लिए शरीर को भूखा रख लिया हो, लेकिन अगर तुम शरीर को सही भोजन दो, तो कामवासना फिर तुरंत प्रकट हो जायेगी। तुम परिवर्तित नहीं हुए हो। कामवासना तो बस वहां छिपी हुई है, ऊर्जा के प्रवाहित होने की प्रतीक्षा करते हए। जब कभी ऊर्जा प्रवाहित होती है, कामवासना फिर जीवंत हो उठेगी। तो वैराग्य की कसौटी क्या है? कसौटी को याद रखना पड़ता है। ज्यादा जीवंत रहो, ऊर्जा से ज्यादा भरे रहो, सक्रिय रहो,और फिर वैराग्यपूर्ण बन जाओ। अगर तुम्हारा वैराग्य तुम्हें ज्यादा जीवंत बनाता है, केवल तभी तुमने सम्यक दिशा को समझा है। अगर यह तुम्हें केवल मुरदा व्यक्ति बनाता है, तब तुमने केवल नियम का अनुसरण किया है। नियम का अनुसरण करना सरल है क्योंकि किसी बौदधिकता की आवश्यकता नहीं है। नियम पर चलना सरल है क्योंकि सीधी चालाकियां काम कर सकती हैं। उपवास एक सीधी चालाकी है। कुछ ज्यादा उसमें समाविष्ट नहीं होता, उससे कोई बुद्धिमानी जनमने वाली नहीं है। ऑक्सफोर्ड में एक प्रयोग हआ। तीस दिन तक बीस विद्यार्थियों का एक समूह पूरी तरह भूखा रह गया था। वे युवा,स्वस्थ लड़के थे। सातवें या आठवें दिन के बाद उन्होंने लड़कियों के प्रति होने वाला आकर्षण खोना शुरू कर दिया। नग्न तस्वीरें उन्हें दी जायें और वे उदासीन रहें। और यह उदासीनता मात्र शारीरिक नहीं थीं, उनके मन भी उस ओर आकर्षित नहीं थे। यह शांत हुआ क्योंकि अब विधियां मौजूद हैं मन को आंकने की। जब कभी कोई युवक, कोई स्वस्थ युवा, युवती की नग्न तस्वीर को देखता है, तो उसकी आंखों की पुतलियां बड़ी हो जाती हैं, वे ज्यादा खुली होती हैं नग्न रूप को भोगने के लिए। और तुम अपनी आंखों की पुतलियों को नियंत्रित नहीं कर सकते, वे ऐच्छिक नहीं होती हैं। तम कह सकते हो कि तम कामवासना में दिलचस्पी नहीं रखते, लेकिन एक नग्न तस्वीर दिखा देगी कि तुम दिलचस्पी रखते हो या नहीं। और तुम स्वेच्छा से कुछ नहीं कर सकते। तुम अपनी आंखों की पुतलियों को नियंत्रित नहीं कर सकते। वे फैल जाती हैं क्योंकि कुछ बहुत आकर्षक उनके सामने आ गया है, वे ज्यादा खुल जाती हैं। पुतलियां ज्यादा खुल जाती हैं, ज्यादा पाने को। स्त्रियों को नग्न पुरुष में आकर्षण नहीं है, उन्हें छोटे बच्चों में ज्यादा आकर्षण है। इसलिए अगर एक सुंदर बच्चे की तस्वीर उन्हें दी जाती है, तो उनकी आंखें फैल जाती हर प्रयत्न कर लिया गया यह जानने के लिए कि क्या लड़कों को कामवासना में आकर्षण था? लेकिन कोई आकर्षण नहीं था। धीरे- धीरे आकर्षण ढल गया। अपने सपनों में भी उन्होंने लड़कियां देखना बंद कर दिया था। कोई यौनस्वप्न नहीं आते थे। दूसरे सप्ताह तक चौदहवें या पंद्रहवें दिन तक, वे एकदम मरी हुई लाशें थे। अगर कोई सुंदर लड़की पास आयी भी, तो वे न देखते। अगर