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चार जगह, चार स्थानों पर, कुछ निश्चित शब्दों को बदल देने के लिए उसने रवीन्द्रनाथ से कहा। वे व्याकरण विरुद्ध थे और उसने कहा कि अंग्रेज लोग उन्हें समझ न पायेंगे। अत: रवीन्द्रनाथ ने उन्हें बदल दिया जो एंड्रयूज ने सुझाव दिये थे। उन्होंने अपने सारे अनुवाद में से चार शब्द बदल दिये। फिर वे लंदन चले गये और पहली बार कवि-सभा में अनुवाद पढ़ा गया। उनके समय के एक अंग्रेज कवि यीट्स ने वह सभा आयोजित की थी। उस अनुवाद को पहली बार पढ़ कर सुनाया गया
था।
सारा अनुवाद सुना दिया गया था, और सब उसे सुन चुके थे। उसके बाद रवीन्द्रनाथ ने पूछा, 'क्या आपका कोई सुझाव है? क्योंकि यह तो अनुवाद भर है और अंग्रेजी मेरी मातृभाषा नहीं है।'
और कविता का अनुवाद करना बहुत कठिन होता है। यीट्स ने, जो रवीन्द्रनाथ जितनी योग्यता का ही कवि था, जवाब दिया, 'केवल चार स्थलों पर कुछ गड़बड़ है।' और वे ठीक वही चार शब्द थे जिनका सुझाव एंड्रयूज ने दिया था।
रवीन्द्रनाथ इस पर विश्वास न कर सके! वे बोले, 'कैसे-कैसे तुम उन्हें ढूंढ सके? –क्योंकि ये ही चार शब्द थे जिनका अनुवाद मैंने नहीं किया है। एंड्रयूज ने इनका सुझाव दिया और मैंने उन्हें रख दिया इसमें।' यीट्स ने कहा, 'सारी कविता एक प्रवाह है, केवल ये ही चार शब्द पत्थरों जैसे हैं। वे प्रवाह को तोड़ देते हैं। ऐसा जान पड़ता है कि किसी और ने उन्हें वहां रख दिया है। हो सकता है तुम्हारी भाषा व्याकरण पर पूरी न उतरती हो। तुम्हारी भाषा शत-प्रतिशत ठीक नहीं है। यह हो नहीं सकती, इतना हम समझते हैं। लेकिन यह शत-प्रतिशत कविता है। ये चार शब्द किसी स्कूल मास्टर के पास से आये हैं। व्याकरण सही हो गया है, लेकिन कविता गलत हो गयी है।'
पतंजलि के साथ तुम कुछ नहीं कर सकते। कोई भी जो योग के मार्ग पर कार्य कर रहा है तुरंत जान जायेगा कि किसी और ने, जो कुछ नहीं जानता, कोई चीज बाद में जोड़ दी है। ऐस थोड़ी पुस्तकें हैं जो अब तक शुद्ध है; जिनमें शुदधता अब तक बनी रही है। यह उन्हीं में से एक है।
छ बदला नहीं गया है- एक शब्द भी नहीं। कछ जोड़ा नहीं गया। यह वैसी है जैसे पतंजलि इसका अर्थ रखना चाहते थे।
यह वस्तुनिष्ठ कला की रचना है। जब मैं कहता हूं 'वस्तुनिष्ठ कला की रचना', तो मेरा मतलब होता है एक निश्चित बात। इसके साथ हर सतर्कता बरती गयी है। जब ये सूत्र संक्षिप्त किये
थे, तब हर सतर्कता ली गयी थी जिससे कि वे नष्ट नहीं किये जा सकें। वे इस ढंग से निर्मित किये गये हैं कि कोई बाहरी चीज, उनमें आ पहुंचा कोई बाहरी तत्व, एक कर्कश स्वर बन जायेगा। लेकिन मैं कहता हूं कि अगर पतंजलि जैसा आदमी कुछ जोड़ने की कोशिश करता है तो वह यह कर सकता है।