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मुखकोश सावधानी से बाँधना चाहिये । ध्यान रहे कि प्रभु पूजन सूर्योदय के दो घड़ी बाद ही शास्त्रों में करने की आज्ञा है, पहले नहीं । इसका सदा ध्यान रखना चाहिये । इस प्रकार यह पूजा तथा स्नात्रपूजा की विधि संक्षेप से लिखी है
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ॐ श्रीमत् परम अध्यात्म-रसिक, परम- गीतार्थ श्रीमद्देवचन्द्रजी महाराज कृत
॥ स्नान पूजा ॥ ॥ दोहा ॥
चउती से अतिसय जुओ - वचनातिसय संजुत्त ॥ सो परमेसर देखि भवि— सिंहासण संपत ॥ १ ॥
|| ढाल ||
सिंहासन बैठा जग भाण, देखी भविजन गुण मणिखाण || जे दीठे तुझ निम्मलभाण, लहिये परम महोदय ठाण ॥१॥
कुसुमाञ्जलि मेला आदि जिणन्दा । तोरा चरणकमल चौबीस, पूजो रे चौबीस, सोभागी चौबीस, बैरागी चौवीस जिणन्दा | कुसुमाञ्जलि मेलो आदि जिणन्दा ।