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॥ ॐ ॥
|| श्रीमद् अर्हद भ्यो नमः ॥
वृहत् पूजा संग्रह
॥ अथ नवकार मन्त्र ||
णमो अरिहंताणं, णमो सिद्धाणं, णमो आयरियाणं । णमो उवज्झायाणं, णमो लोए
सन्त्र - साहूणं ॥
पाव - प्पणासणो ।
एसो पंच णमुकारो, सन्च मगलाणं च सचेसिं, पढमं हवड़ मंगलं ॥
॥ स्नात्र पूजाविधि ॥
प्रात काल मे भव्यात्मा आसातनाओ को टालता हुआ, सम्यग्दर्शन की शुद्धि के लिये, प्रभु मन्दिर मे 'नमो जिगाणं' कहता हुआ प्रवेश करे । पाप व्यापारी के निषेध रूप 'निस्सिहि' शद का तीन बार उच्चारण करे। वहाँ शुद्ध जल से स्नान कर, शुद्ध धोती पहिने । उत्तरासन, दाहिने कंधे के नीचे और चाये कन्धे के ऊपर करे । फिर अपने सिर के वालों को सँवार कर हाथी को