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पि-मण्डल-पूजा
|| राग.कहरवो ॥ (तर्ज-पान तेरा विधुआ वाजे) पास जिणंदा प्रभु मेरे मन वसीया ॥ पा० ॥ मेरे मन० ॥ शिवकमलानन कमल विमल कल, तर मकरद पान अति रसिया ॥ पास जि० ॥१॥ वामानन्दन मोहनी मूरत, सकल लोक जनमन किय वसीया ॥ पास जि० ॥ परम ज्योति मुखचन्द विलोकित । सुरनर निकर चकोर हरसिया ।। चकोर ह० ॥ पास जि० ॥२॥ अंजनगिरि तनु दुति जिन जलधर, देशना अमृतधार वरसिया ॥ धार० ॥ पास जि० ॥३॥ पीय करि भवि चिरकाल तिरसिया । मुगति युवति तनु तुरत फरसिया ॥ पास जि० ॥ कुमुद सुपद शिवचन्द्र जिणदनी । पारीजाउ मन मेरो अतिहि उलसिया ॥ पास जि० ॥ ४ ॥
॥कान्य ॥ सलिल' ॐ हीं श्री प० श्रीमत्यार्थ जिने० ॥ ॥ चतुर्विंशति श्रीवीर जिन पूजा ॥
॥दोहा॥ वर हल्वाकु कुल केतु सम, त्रिसलोदर अवतार ।' ए प्रभुनी नित कीजिये, विविध भक्ति सुसकार ।।