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धोळढी, माहारे मात्र
पु
नद । बेचार महिना मनपढे मांदो ॥५:
छासठीयो कहे हुं घोळो मोळो, माहारे माथे बुरो । माहारी खबर तो पडे, जो होय घेर दुजाणो ॥५०२॥ जार कहे हुं धोढी, माहारे माथे बुरु । माहारु भलपणुं क्यारे जाणो, के काळ दुकाळमां हुं पुरु ॥ ५०३ ॥ मग कहे हुं लीलो (काळो) दाणो, मारे माथे चांदु । बेचार महिना मने खाय तो, माणस उठाडु मांदु ॥ ५०४ ॥ मग कहे हुं लीलो पीळो, माहरे माथे चांदो । माहरी खबर तो पडे, जो माणस पडे मांदो ॥५०५॥ चोखाकहे मेरा अच्छा खाना, मेराभरोसे गाम नजाना ।खीचडी कहे में आवत जावत, रोटी कहे में धामपहोंचावत ॥५०६॥ चोखो कहे हुं घोलुडो, मारे माथे चांदी । माहरु मलापणुं क्यारे जाणो, के डोसी पडे मांदी ॥ ५०७॥ दाळ भातका सुतराखाना, मेराभरोसे गाउ मत जाना। खीचडी कहे में आवत जावत,रोटी कहे में मजल कपावत ॥५०८॥ मकाइ कहे हुँ झीणो दाणो, मारे माथे चोटी। माहरी खबर क्यारे पडे के, घेर दुजे शोटी ॥ ५०९॥ मकाइ कहे मने झीणी दळी, कर्मसंयोगे वालोळ मळी । मुखे पेयाने पेटे दाम, मक्काइ कहे ए महारु काम ॥५१॥ मक्काइ कहे हुँ झीणो दाणो, माहारे माथे नाकु । मारी खबर क्यारे पडे के, घोड़े आवे थाक्युं ॥५११॥ कोड कहे हुँ राती माती, माहारे माथे टीली । हाय पग तो उधी रहे, सुंठ थाय दीली ॥ ५१२ ॥ वाल कहे हुं मोटो दाणो, घणा लाकडा बाळु । चार दिवस जो मने सेवे तो, सभामां बेसतो टाल्लं ॥५१३॥ चीणो कहे हुं चीपटडो, नवदाणाथी नीचो । माहरुं भलापणुं क्यारे जाणो, के वरसाद थाय ओछो ॥५१४ ॥ कोदरा कहे माहारो खडदाणो, माहरे माथे छोडां । माहरो खप क्यारे पडे के, वरस आवे खोडां॥५१५॥ लांग कहे हुं लांबो दाणो, वचमां एक ठेको । वे चार महीना मने खाय तो, लाकडीनो जलावू टेको ॥५१६ ॥