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परदेशी राजाए प्रश्न कय जे आप कहोछो के जीव ने शरीर जूदां छे अने जेवू कर्यु होय एवं भोगवे: तो म्हारो बाप नास्तिक मति हतो, घणी हिंसा प्रमुख करतो, ते मरण पाम्यो छे. ते नरके गयो जोइए ने तेम थयु होय तो नरकनां दुःख जोइने ते मने पाछा आवीने कहेत जे में पाप . कस्यां छे तेथी नरकनां हुं दुःख भोगवं छं वास्ते तुं पाप न कर ने धर्म करे के दुःख न भोगववां पडे. एवी रीते आवीने कहे तो हुं जीव ने शरीर जूदा मान. उत्तर–केशी महाराज कहे छे जे-हे परदेशी ! त्हारी सूर्यकांता नामे स्त्री छे ते सर्व प्रकारे आभूषण शृंगार पहेरीने बेठी छे एवामां कोइ उल्लंठ पुरुष तेनी साथे खोटी वर्तणूक करे ने तेने तुं देखे तो तेने, तेने घेर जवा दे ? परदेशी कहे छे–तेने तो शूलीए चडावू. अनेक विटंबना करूं. तेने घेर जवा देउं नहि. त्यारे केशी महाराज कहे छे. जेम तुं तेनो विनाश करे ने जवा दे नहि, तेम नरकमांथी परमाधामी पण आववा दे नहि. एटले ते शी रीते अहि आवे! त्यां दुःख ज भोगव्या करे.
परदेशी राजाए प्रश्न कर्यु जे-म्हारा बापनी माता घणी धर्मिष्ट हती ते नित्य पौषध प्रतिक्रमण करती हती. दान देती हती. ते तमारा कहेवा प्रमाणे देवलोके जवी जोइए; तो ते देवता- सुख भोगवे छे ते आवीने मने कहे जे तुं धर्म कर. जेथी देवलोकमां हुं घणुं सुख भोगq छं. ते तुं भोगवे. एवं आवीने कहे तो हुं जीव जूदो मार्नु.
केशी गणधर महाराज कहे छे जे-तुं नाही धोइ सुंदर धोयेलां वस्त्र आ. भूषण पहेरी सुंदर पूजानां उपकरण लइ देव पूजवा जतो होय, एटलामां कोइ माणस कहे जे आ विष्टाना ओरडामां आवो, विश्राम ल्यो, उभा रहो, बेसो, सूत्रो. एम कहे तो तुं त्यां जाय ? त्यारे परदेशी राजा कहे छे के, ते वचन मात्र पण सांभलुं नहि ने जउं पण नाह. एवं परदेशी राजाए कां. त्यारे केशीस्वामी कहे जे–ए दृष्टांते देवलोकने विषे देवता उत्पन्न थाय छे, त्यां दिव्यसुख दिव्यभोग अतिशय सुंदर महा सुगंधमय छे, तेमां
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