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( ३० ) उत्तरः-आपणी दृष्टिए प्रत्यक्ष देखीए छीए के बुद्धि श्ररुपी छता मदिरापान करनारनी बुद्धि भष्ट थइ जाय छे अने तेनो केफ चडे छे त्यारे जेमतेम बके छे, तो मदिरा जड छतां बुद्धिने केम आवरे छे ? वली केफ उतरे छे त्यारे पाछी बुद्धि ठेकाणे आवे छे तेम कर्म पण एवो ज पदार्थ छे. तेना संयोगथी आत्मानो ज्ञान गुण अवराइ जाय छे अने पडदामां रहेली अथवा मेलनो समूह लागेली वस्तुओनुं पोतानुं खरं स्वरुप जेम देखातुं नथी तेम कर्मरुप मेल लाग्याथी आत्मानी शक्ति अने स्वरुप देखी शकातुं नथी.
४३ प्रश्नः-आत्मा निरंतर केम करीने अवरायलो ज रहे छे के तेमां फेरफार थाय छे ? अने ते कोइ वखत पण शुद्ध थशे के नहीं ?
उत्तरः-प्रात्माना ज्ञानने कर्भनो केफ लागेलो छे. केफ करनार मनु. ष्यने जो कोइ जबरी फिकरनी बात करे अथवा खटाइ विगेरे केफना उतारनी चीज खवरावे तो तेनो केफ उतरी जाय छे, तेम प्राणीने पण गुरु महाराजना योगथी अथवा पूर्वना क्षयोपशमवडे ज्यारे पोताना आत्मानं खलं स्वरुप समजाय छे अने पुद्गलना संगथी अनादिकाल संसारमा परिभ्रमण करयानुं समजाय छे त्यारे तेनाथी भय पामे छे एटले कर्मनो केफ उतरी जइने ज्ञानदशा जागृत थाय छे. ते वखते विचार छे के, 'हं जे सुख मार्नु छु ते तो जड पदार्थवडे मात्र मानी लीधेलुं सुख छे. तेनाथी म्हारा श्रात्माने तो सुख नथी. पण उलटुं कर्मबंधनरुप दुःख छे. वली ए सुख जेम फांसी उपर चडनार मनुष्यने सारी सारी वस्तु खावा आपे छ पण पछी तुरत फांसीए चडावे छे तेना जेवू छे. संसार सुखनी लीनता पण एवी ज छ कारण के हालना समयनां म्होटामां म्हाटुं आयुष्य प्राये सो वर्षनुं होय छे तो एटलो काल सुख भोगवq अने पछी तेनाथी थयेला कर्मबंध बडे नरके जयुं त्यां सागरोपमनां आयुष होवाथी असंख्य वर्ष पर्यंत दुःख भोगवq तेना प्रमाणमां मनुष्यना भवनुं सुख कांइ लेखामां नथी. कदी मरण पाम्या पछी नरकमां न जतां मनुष्य गतिमां जq
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