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( २४७ ) राखजो. तमारी चोपडी तपासीने पाछी मोकली आपी छे, ते पोहोच्येथी पोहोच लखजो. तमारा लखेला प्रश्नोनो उत्तर नीचे मुजब जाणजो.
१ केवलज्ञानीमां पांच इंद्रिप्राण वर्जी बाक़ीना पांच प्राण जाणवा. कारण जे केवलज्ञानी महाराज केवलज्ञाने सर्व पदार्थ जाणे छे, जेटली इंद्रियानुं काम नथी तेथी ए प्राण प्रवृत्ते नहि.
२ केवलज्ञानीमां उदारीक, तेजस, कार्मण ए त्रणे शरीर तथा मन वचन काया ए त्रणे जोग एक समयमां लाभे, परंतु मन जोगमां द्रव्य मन समजवुं.
३ चय उपचयने प्राप्त थाय अने औदारिकादि वर्गणानुं बनेल होय ते शरीर, अने शरीरना व्यापार ते कायजोग जाणवो.
४ त्रण जोगनी स्थिति अंतर्मुहूर्त्त अने अवगाहना शरीर प्रमाण.
५ ज्यां शरीर होय, त्यां काय जोगनी भजना शैलेशी अवस्थामां कायानो पार न होय तेथी.
६ शरीर बंधक पण छे, ने अबंधक पण छे. ते प्रबंधक शैलेसी अवस्थामां.
७ तेरमे गुणस्थाने नोसन्नि नो असन्न.
८ केवलज्ञानी महाराजने आहारादिक चार संज्ञामांथी कोइ संज्ञा होय नहि.
९ कायबल नाम शरीरनुं सामर्थ्य छे, अने स्पर्श इंद्री शीत उश्नादिनी परिक्षा करनार छे.
१० ज्ञाननी अवगाहना आत्म प्रमाण.
११ तीर्थंकरना वचन, केवलज्ञानीने कोइ पण ज्ञानपणे न प्रणमे. क्षम्यकभावनुं ज्ञान छे, तेथी प्रणमनुं ए क्षयोपशमनो धर्म छे.
१२ देवताने श्रहार करतां कोइ देखे अने कोइ न देखे. ने इंद्रिओ तो फक्त रसादिकनुं
१३ जीव आहार ले, ते शरीर ले ज्ञान करमार छे..
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