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(१८८) कमां कंइक ओछु देखे. ए देवताओ तिई असंख्यात द्वीप समुद्र सुधी देखे. उचुं पोताना विमाननी ध्वजा सुधी देखे. भुवनपति व्यंतर देवताओमां अर्धा सागरोपममां कंइ ओछा आयुष्यवालाने तिई संख्याता योजननुं ज्ञान होय. अर्धा सागरोपम उपरनुं आयुष्य होय तेने तिर्छ असंख्याता योजन- ज्ञान होय. जेनु दश हजार वर्षनुं आयुष्य छे तेने पचीस जोजन- ज्ञान छे. असंख्याता वर्षनुं आयुष्य छे तेने असंख्याता योजन- तिर्छ ज्ञान होय. श्रा मुजब नंदीसत्रनी टीकामां पाने १७८ मे छापेली प्रतमां तथा आवश्यकजीमां कहेलुं छे.
प्रश्नः-१२७ तीर्थकर कया आरामां थाय ? ने कया पारामां सिदि वरे ?
उत्तरः-नंदीसूत्रनी छापेली प्रतमा पाने २.. मे कयुं छे के ऋषभ देव अवसर्पिणी कालना त्रीजा आरानां त्रण वर्ष साडा आठ महिना बा. की हता, ते वखते मोक्षे गया. त्यार पछी बीजा सर्वे तीर्थकर चोथा आ. रामां थया. छेल्ला महावीरस्वामी चोथा आराना त्रण वर्ष साडा आठ महिना बाकी हता त्यारे निर्वाण पाम्या. तेमज श्रावती चोवीशीमां त्रीजा श्राराना त्रण वर्ष साडा आठ मास गये थके तीर्थकरनो जन्म थशे ने आखा त्रीजा धारामां त्रेवीश तीर्थंकर थशे. ने चोथा आरामां चोवी.. शमा तीर्थकरनो जन्म थशे तथा निर्वाण पामशे. ने बीजा सामान्य के. वली बीजा आराना जन्मेला त्रीजा आरामां केवलज्ञान पामे, ते वर्चमानकाले चोथा आराना जन्मेला पांचमा आरामां केवलज्ञान पाम्या, मा मर्यादा छे.
प्रश्नः-१२८ मनुष्य गर्भजनी संख्या केटली कही छे ? ने सामान्य मनुष्यनी केटली ?
उत्तरः-अनुयोगद्दार सूत्रनी टीकामां पाने ४८८ मे मनुष्य गर्भजनी संख्या छ वर्ग करतां जे रकम थाय तेटली कही छे. ते वर्गनुं समजवू जे एकनो वर्ग तो थाय नहि तेथी बेनो वर्ग ते चार याय ए पहेलो वर्ग,
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