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( १८४ ) बे गंध, पांच रस, ने आठ स्पर्श रह्या छे. ए द्वादशसारनयचक्रमां कह्युं छे माटे सत्तामां होय तेथी पुनरावृत्तिमां पांचे वर्णमांथी एक वर्ण, एक गंध, एक रस, बे स्पर्श होय ते पर्यायना पलटपणे होय.
प्रश्नः - ११८ गौतमपडघो तप करे छे तथा चंदनबालाना अठ्ठम करे छे ने गोरजीने पे छे ते केम ?
उत्तरः–गच्छाचारपयन्नाना बालावबोधमां कुगच्छना लक्षणमां कछे जे विप्र तारवाने लोक पासे एवी रीतना तप करात्री पैसा ले छे कुगच्छ छे.
प्रश्नः - ११९ एक स्थिति स्थानकमां अध्यवसाय स्थानक केटला होय? उत्तरः- कम्मपयडीमां ५२ गाथानी टीकामां अध्यवसाय असंख्याता कह्या छे. तीव्र तीव्रतर मंद, मंदतर श्रादि होय.
प्रश्नः - १२० जे गतिनुं आयुष् बांध्युं होय ते कायम रहे के फेर - फार थाय ?
उत्तरः- भगवतीजीनी टीकामां अपवर्तननो अधिकार चाल्यो छे तेमां कहेलुं छे जे सातमी नरकनुं आयुष्य बांध्युं छे पण अध्यवसायना फेरफारथी नरक ओछी वधारे थाय छे. जेम कृष्ण वासुदेव सातमी नरकनुं आयुष्य बांध्युं हतुं, ते अढार हजार मुनिने वंदन करवाथी त्रीजीनुं क युं, तेम चारे गतिमां फेरफार थाय; पण एटलो विशेष जे देवलोकनुं फरीने मनुष्यनुं न थाय. तथा नरक फीटीने बीजी त्रण गतिनुं न थाय. जे गति होय तेनो फेरफार थाय.
प्रश्नः - १२१ वर्त्तमानकाले आयुष्य केटलं होय
उत्तर:- जंबुद्वीपपन्नत्तिमां तो मुख्यवृत्तिये उत्कृष्ट एकसो वीश वर्षनुं कह्युं छे. तेम घणा जीवने तो तेमज आयुष्य होय, ने ते प्रमाणे जणाय छे. ने कोइक जीवनुं वधारे पण सांभलवामां आवे छे. तेवीश उदयना यंत्रमा पहेला उदयमां छेल्ला युगप्रधान स्वामीनुं आयुष्य एकसो अट्ठावीश वर्षनुं कह्युं छे. तेथी एम जणाय छे के, कोइक पुरुषनुं एकसो वी
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